नारकीय

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नारकीय - 
इस समय की असाधारण प्रतिभा मुद्राराक्षस साहित्य की सभी विधाओं में शिखर की उपलब्धियों के लिए विख्यात हैं। कहानी, उपन्यास, नाटक, आलोचना आदि के अलावा इतिहास, समाजशास्त्र और अर्थतन्त्र पर अपने लेखन से उन्होंने समय और समाज में उल्लेखनीय हस्तक्षेप किया है। समसामयिक राजनीति के वे अप्रतिम टिप्पणीकार के रूप में जाने जाते रहे हैं। दलित प्रश्न को लेकर मुद्राराक्षस के तीख़े विवेचन के लिए अंबेडकर महासभा द्वारा दलित रत्न और शूद्र महासभा द्वारा शूद्राचार्य की उपाधियाँ दी गयीं। धर्मनिरपेक्षता के सवाल पर उनके द्वारा जनान्दोलनों में भागीदारी के लिए मुस्लिम बेदारी फोरम द्वारा जनसम्मान दिया गया। हिन्दी के इतिहास में वे अकेले ऐसे साहित्यकार हैं जिन्हें जनसंगठनों ने सिक्कों से तोल कर सम्मानित किया है। प्रखर वक्ता के अलावा वे व्यंग्यकार के रूप में ख़ासे चर्चित रहे हैं। अपने जन सरोकारों के लिए विख्यात मुद्राराक्षस ने ललित कलाओं में भी काम किया है। अपनी अभिरुचियों में कुत्ते, बिल्लियों से गहरे लगाव के अलावा बाग़बानी का शौक़ भी गहरा है। हाँ तीन चीज़ों से उन्हें घबराहट होती है-यात्रा, टेलीफ़ोन और पत्रलेखन। यह उपन्यास मुद्राराक्षस की लम्बी लेखकीय यात्रा के रंग-बिरंगे अनुभवों पर आधारित है।

ISBN
9789350001349
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