नीली आँधी

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नीली आँधी  -
झकझक स्मार्ट सौमिक बसुराय के साथ दयिता का विवाह तय हो गया। लेकिन दयिता किसी अजीब इन्सान के मोहपाश में बँधी हुई, जिसे वह प्यार समझ बैठती है, वह शख़्स है, उसका प्रोफ़ेसर, विश्वविख्यात वैज्ञानिक-बोधिसत्व मजूमदार! दयिता का प्यार मानो कोई दुर्धर्ष आँधी-तूफ़ान है, जो उम्र की कोई बाधा-निषेध नहीं मानता; नाते-रिश्तेदारों की परवाह नहीं करता; समाज-संसार के नीति-नियमों को वह तिनके की तरह, वक़्त की धार में बहा देती है। महाविश्व की सृष्टि-रहस्य जानने के रिसर्च में विभोर, अधेड़ बोधिसत्व मजूमदार भी दयिता के अमोघ आकर्षण की आख़िर उपेक्षा नहीं कर पाये। पत्नी-पुत्र त्यागकर, वे दयिता के साथ अपनी नयी दुनिया बसा लेते हैं।

दयिता और बोधिसत्व की समवेत ज़िन्दगी क्या ख़ुशहाल हो पायी? दयिता द्वारा ठुकराया हुआ सौमिक क्या उसे भूल पाया? पति-परित्यक्ता राखी के मन में ही बोधिसत्व के लिए, अन्त में कितनी-सी श्रद्धा और प्यार बचा था?

'नीली आँधी' जटिल प्यार का बयान है। लेकिन यह उपन्यास सिर्फ़ प्यार के त्रिकोण का उपाख्यान ही नहीं है, औरत-मर्द के रिश्तों की रस्साक़शी के माध्यम से, लेखिका को यह भी तलाश है कि अनन्य प्रतिभा सम्पन्न इन्सानों के जीवन में औरत की जगह कहाँ है! कुल मिलाकर सुचित्रा भट्टाचार्य की सशक्त क़लम ने वर्तमान युग की जीवन-यन्त्रणा को उजागर किया है।

'नीली आँधी' इसी वक़्त का तूफ़ानी भँवर है, जो समकालीन होते हुए भी, चिरकालीन है। आँधी नीली हो या पीली, हर इन्सान की ज़िन्दगी में दाख़िल ज़रूर होती है। जो कमज़ोर होते हैं, आँधी उन्हें उड़ा ले जाती है और सख्त सजा देती है, उनका सब कुछ छीन लेती है। जो वह आँधी बहादुरी से झेल जाते हैं, ज़िन्दगी सुख बनकर, उनका अधूरापन मिटा देती है। विराट व्यक्तित्व दुनिया की नज़रों में भले असाधारण हो, मगर जब उनका पदस्खलन होता है, तो वे निहायत कमज़ोर और मामूली इन्सान साबित होते हैं, जबकि मामूली इन्सान, इन्सानियत का परिचय देकर, असाधारण साबित होते हैं इन तमाम अहसासों ने मुझे अमीर बना दिया है। -सुशील गुप्ता

ISBN
9789352295913
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