निबन्धों की दुनिया : मलयज

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निबन्धों की दुनिया  -  मलयज -
मलयज के निबन्ध अकादमिक आलोचना के सर्जनात्मक संस्करण हैं। चिन्तन की गहराई और काव्यानुभूति के ताप से लिखे गये उनके निबन्धों ने हिन्दी आलोचना की आधुनिक बहसों में एक सार्थक हस्तक्षेप किया है। मलयज की आलोचना दृष्टि का निर्माण और विकास शीत युद्ध के दौर में हुआ जब हिन्दी में प्रगतिशील लेखक संघ और परिमल का द्वन्द्व अपने चरम पर था। मलयज इन दोनों शिविरों में से किसी एक को स्वीकार कर लेने की आसान राह नहीं चुनते वे एक तीसरी राह की तलाश का जोख़िम उठाते हैं-यह तीसरी राह संवाद और एकालाप की है। मलयज को पता है कि शिविरबद्ध आलोचना के योद्धा “सौन्दर्य और आत्मा और मानव राग को फार्मूलों में ढाल दे सकते हैं। वे उत्पीड़न, आक्रोश और करुणा को सुखद, सौन्दर्यात्मक फुरफुरी में अंकित कर दे सकते हैं। वे विशिष्ट हैं, क्योंकि वे दूसरों से बड़े हैं गोकि ख़ुद से छोटे, छोटे और सीमित-अपने में बन्द, सुरक्षित किनारे पर।" मलयज के निबन्धों का दायरा छायावाद से नयी कविता के कवियों और रचनाओं तक फैला है। मलयज निष्कर्षो से विश्लेषण की ओर नहीं जाते। उनकी आलोचना रचना की जटिलताओं से जूझती है, उनमें विचारों को सपाट ढंग से कह डालने के अधैर्य के स्थान पर चिन्तनधर्मी ललित मन्थरता है। गहरा आलोचनात्मक विवेक और रचनात्मक ऊष्मा के कारण मलयज के निबन्ध पठनीय और विचारणीय है।

ISBN
9789350721650
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