पज्जुन्नचरीउ (प्रद्यम्नचरित)
पज्जुण्णचरिउ
तेरहवीं शती की उत्तर-मध्यकालीन काव्य-विधा में महाकवि सिंह कृत अपभ्रंश महाकाव्य 'पज्जुण्णचरिउ (प्रद्युम्नचरित) भारतीय भाषा-साहित्य की एक महान कृति है। इनमें शलाकापुरुष श्रीकृष्ण और उनके पुत्र प्रद्युम्नकुमार के चरित का विस्तार से वर्णन किया गया है।
केवल भाषा एवं साहित्य की दृष्टि से ही नहीं अपितु तत्कालीन भारतीय इतिहास, समाज एवं संस्कृति के अध्ययन के लिए भी यह कृति बहुत प्रामाणिक और उपयोगी सामग्री प्रस्तुत करती है। यह काव्य इसलिए भी विशिष्ट है कि महाकवि ने इसका कथ्य प्राचीन जैन कथास्रोतों के अतिरिक्त 'महाभारत' की कथा से भी सजीव बनाया है।
प्राकृत, संस्कृत एवं हिन्दी की विदुषी लेखिका डॉ. विद्यावती जैन ने ग्रन्थ के सम्पादन एवं अनुवाद के साथ इसकी बृहत्प्रस्तावना में तत्कालीन इतिहास के कतिपथ नये पक्ष उजागर किये हैं।
भारतीय ज्ञानपीठ का एक गौरवग्रन्थ।
Publication | Bharatiya Jnanpith |
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