Publisher:
Bharatiya Jnanpith

Pani Par Patkatha

In stock
Only %1 left
SKU
Pani Par Patkatha
Rating:
0%
As low as ₹228.00 Regular Price ₹240.00
Save 5%

पानी पर पटकथा - 
'पानी पर पटकथा' में संस्कृतनिष्ठ भाव-बोध और पूर्वी उत्तर प्रदेश की क्षेत्रीय भदेसपन का सर्जनात्मक संश्लेष है। यह क्षमता विचारणीय है। जैसे विषयवस्तु की व्याप्ति में मिथक जाति, देश-परदेश, धर्म, राजनीति, लोकजीवन विचारधारा सब मिलकर पाठ को निर्मित करते हैं। वैसे ही रूपगत संश्लेष में संस्कृत, अवधी उई, देहातीपन, मुहावरे, मिथकीयता, बिलन्दड़ीपना, ध्वनि-प्रवाह, घुले-मिले हैं। वस्तु और रूप का यह साहित्य इस कृति के औचित्य बन्ध का रहस्य है।
यह कार्य दुस्साध्य है। तुलसीदास बाबा ने संस्कृत, अवधी, ब्रजी, फ़ारसी, देशज का ऐसा घोल तैयार किया कि सब एक मित्र हो गये। और उसमें अपनी लय और अपना प्रवाह पैदा हो गया। गद्य की अपनी लय होती है। मुझे 'पानी पर पटकथा' में उस लय की झलक दिखलाई पड़ती है। पूर्वी उत्तर प्रदेश आर्थिक दृष्टि से बहुत पिछड़ा, उपेक्षित, रोग-ग्रस्त और अन्धविश्वास-मूढ़ क्षेत्र है। राजनीतिक दृष्टि से अब पीछे रह गया है, किन्तु सांस्कृतिक दृष्टि से अब भी प्रचुर सम्पन्न है। इन सबकी पकड़ इस पुस्तक में है।—पुस्तक की भूमिका से 

ISBN
Pani Par Patkatha
Publisher:
Bharatiya Jnanpith
More Information
Publication Bharatiya Jnanpith
अष्टभुजा शुक्ल (Ashtbhuja Shukla )

"अष्टभुजा शुक्ल - 1957 में उत्तर प्रदेश के जनपद बस्ती के दीक्षापार गाँव में जन्म एवं निवास। प्रकाशित कृतियाँ: कविता संग्रह—'चैत के बादल', 'पद-कुपद', 'दुःस्वप्न भी आते हैं', 'इसी हवा में अपनी भी दो चार साँस है'; ललित निबन्ध संग्रह—'मिठठवा'। 'अतिक्रमण' पत्रिका के 6 अंकों का सम्पादन। पुरस्कार व सम्मान: 'परिवेश सम्मान' (1998), 'माटी रतन सम्मान', 'केदारनाथ अग्रवाल सम्मान' (2010), 'श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफ़को साहित्य सम्मान' (2015), 'महाराज चक्रधर सृजन सम्मान' आदि। "

Write Your Own Review
You're reviewing:Pani Par Patkatha
Your Rating
कॉपीराइट © 2025 वाणी प्रकाशन पुस्तकें। सर्वाधिकार सुरक्षित।

Design & Developed by: https://octagontechs.com/