अपनी वैविध्यपूर्ण कृतियों से लगातार साहित्य-समाज को आश्वस्त करती कथा लेखिका डॉ. नीरजा माधव की ताज़ा कहानियों का संग्रह है पथ-दंश।
किसी वाद या आन्दोलन से स्वयं को सजगतापूर्वक मुक्त रखते हुए राष्ट्रीय, धार्मिक और सामाजिक सरोकारों पर बिना हिचक अपनी बेबाक टिप्पणी देनेवाली डॉ. नीरजा माधव बड़ी तन्मयता के साथ अपने लेखन में अतीत के शाश्वत मूल्यों को सहेज कर भविष्य के हाथों में सौंप देने की छटपटाहट के साथ दिखाई पड़ती हैं। अपनी जड़ों से जुड़े रहकर ही जीवन की सम्भावना है। छिन्न-मूल होने पर हवा के झोंके के साथ भटकाव ही प्राप्य है। अस्थिरता और भटकाव में सार्थक सृजन की कल्पना कैसी? इस दृष्टि और दृष्टिकोण पर अडिग लेखिका बहुत ही सावधानीपूर्वक अपनी कथा-कला के माध्यम से एक संग्रहणीय वृत्तान्त की रचना करती हैं।