Publisher:
Bharatiya Jnanpith

फिर बैतलवा डाल पर

In stock
Only %1 left
SKU
9788126315857
Rating:
0%
As low as ₹71.25 Regular Price ₹75.00
Save 5%
"फिर बैतलवा डाल पर - हिन्दी में शहरी जीवन के चित्र तो बहुत-बहुत उकेरे ही गये हैं, गँवई जीवन के भी कम नहीं आये। प्रेमचन्द युग के बाद के गाँवों पर, जो उन पुरानों से कहीं अधिक उलझे हुए हैं, रोमान युक्त कथाएँ भी कितनी ही बाँधी गयी हैं। पर ऐसी कृतियाँ कम ही हैं, शायद नहीं ही हैं, जो ठेठ आज के गाँवों और वहाँ रहते जीते असंख्य प्राणियों के जीवन और उस जीवन के रंगों का एक्स-रे किया हुआ रूप उकेरती हों। ‘फिर बैतलवा डाल पर‘ की रचनाओं की यह विशेषता है, और इसी में इनका उपयोगिता मूल्य भी है। 'फिर बैतलवा डाल पर' की रचनाएँ ग्रामीण जीवन की हैं, पर अच्छा हो यदि आवश्यक समझकर इन्हें एक बार वे पढ़ें जो शहरी जीवन में जनमे और रहते आये हैं, और वे भी पढ़ें जिन पर जन-जीवन को रूप और दिशा देने का दायित्व है। प्रस्तुत है पुस्तक का नया संस्करण। "
ISBN
9788126315857
Publisher:
Bharatiya Jnanpith
Author: Viveki Rai
More Information
Publication Bharatiya Jnanpith
विवेकी राय (Viveki Rai )

"डॉ. विवेकी राय - जन्म: 19 नवम्बर, 1924 को गाँव भरौली, ज़िला बलिया (उ. प्र.) में। प्रारम्भिक शिक्षा पैतृक गाँव सोनयानी, गाज़ीपुर में महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ से पीएच.डी.। शुरू में कुछ समय खेती-बाड़ी में जुटने के बाद अध्यापन कार्य में संलग्न, सम्प्रति स्वतन्त्र लेखन। कृतियाँ: आठ उपन्यास, नौ कहानी-संग्रह, आठ निबन्ध-संग्रह, चार कविता-संग्रह, बारह समीक्षा-ग्रन्थ के साथ ही भोजपुरी में सात पुस्तकें प्रकाशित। कई कृतियाँ मराठी, उड़िया, पंजाबी, उर्दू भाषाओं में अनूदित। देश की अनेक संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत सम्मानित, जिनमें प्रमुख हैं— उ. प्र. हिन्दी संस्थान द्वारा 'प्रेमचन्द पुरस्कार' और 'साहित्य भूषण सम्मान', म.प्र. शासन द्वारा 'राष्ट्रीय शरद जोशी सम्मान', बिहार राजभाषा विभाग द्वारा 'आचार्य शिवपूजन सहाय पुरस्कार' तथा हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग द्वारा 'विद्यावाचस्पति' और 'साहित्य महोपाध्याय' सम्मान। "

Write Your Own Review
You're reviewing:फिर बैतलवा डाल पर
Your Rating
कॉपीराइट © 2025 वाणी प्रकाशन पुस्तकें। सर्वाधिकार सुरक्षित।

Design & Developed by: https://octagontechs.com/