प्रज्ञासूर्य डॉ. बाबासाहब अम्बेडकर
"डॉ. बाबासाहब आम्बेडकर जी के जीवन की खोज सम्भवतः सहज रूप से ली जा सकती है, परन्तु उनके द्वारा जाग्रत बहिष्कृत भारत के समग्र सांस्कृतिक एहसासों को नापना असम्भव ही है। इस युगन्धर ने नया इतिहास रचा और उसके दर्शन से अनेक बुद्धिजीवी लेखक प्रभावित हो चुके हैं। उनके कार्य से तत्कालीन काल अत्यन्त प्रभावित था। उनके जीवन के कारण मानव समूह को प्रचंड आत्मविश्वास प्राप्त हुआ। डॉ. बाबासाहब आम्बेडकर वास्तव में एक विचार हैं। दलितों के उत्थान हेतु उन्होंने व्यापक आन्दोलन किये। ये आन्दोलन चक्रवात की तरह दलितों में समा गये हैं। सूर्य रोज उगता है, अस्त भी होता है। प्रज्ञासूर्य का उदय अस्त होने के लिए हुआ ही नहीं है। उसकी व्यापकता रोज भिन्न- भिन्न सामाजिक तबकों में फैल रही है।
डॉ. बाबासाहब आम्बेडकर जी के जीवन और विचारों का तेजी से प्रचार तथा प्रसार हो रहा है, उतनी ही तेजी से प्रतिगामी, प्रतिक्रियावादी शक्तियाँ भी संघटित हो रही हैं। सम्पूर्ण समाज को जड़ से ट-पुलट उलट- करने की आज जरूरत है। केवल सुविधाएँ या आरक्षण देकर यह जरूरत पूरी नहीं होनेवाली है। शिक्षा, कानून और आन्दोलनों का अचूक शस्त्र झोंपड़ियों तक पहुँच चुका है। हजारों वर्षों से शस्त्र और शास्त्र से वंचित समाज पढ़ रहा है, संघटित हो रहा है, संघर्ष कर रहा है। 99
डॉ. शरणकुमार लिंबाले