Publisher:
Bharatiya Jnanpith

Pratyakshvad

In stock
Only %1 left
SKU
Pratyakshvad
Rating:
0%
As low as ₹360.00 Regular Price ₹450.00
Save 20%

प्रत्यक्षवाद - 
यह सुपरिचित कथाकार कुमार मिथिलेश प्रसाद सिंह की नवीनतम कृति है। इनकी कहानियाँ आम बोली भाषा में ग्रामीण जन-जीवन और साधारण मनुष्य के जीवन में घट रही घटनाओं को बहुत ही सादग़ी के साथ प्रस्तुत करती हैं। पाठक इन कहानियों से ख़ुद को हमेशा जुड़ा पाता है। इन कहानियों को पढ़ते समय ऐसा लगता है जैसे कथाकार ने इन कथा बिम्बों को हमारे जीवन से निकाल कर पन्नों पर रख दिया हो । इन कहानियों में भाषा की ख़ूबसूरती, बोली का अपनापन, परिवेश का सुन्दर चित्रण पूरे भाव के साथ उभर कर आते हैं। सही अर्थों में कथाकार की यही सफलता होती है।
मिट्टी से जुड़े कथाकार की यही विशेषता उन्हें समकालीन कथाकारों में एक अलग भाव-भूमि में ला खड़ा करती है। इस संग्रह में उनकी बारह महत्त्वपूर्ण कहानियाँ संकलित हैं। आम जन-जीवन से जुड़ी ये कहानियाँ निश्चय ही आपको अपनापन का आभास करायेंगी साथ ही उस मिट्टी की भी याद दिलायेंगी जो कहीं न कहीं हमारे अन्दर जीवित है। जीवन की आपाधापी के बीच यह संग्रह अपने पाठकों को ज़रूर ही मानसिक शीतलता प्रदान करेगा।
सर्वथा एक पठनीय व संग्रहणीय कृति ।

ISBN
Pratyakshvad
Publisher:
Bharatiya Jnanpith
More Information
Publication Bharatiya Jnanpith
कुमार मिथिलेश प्रसाद सिंह (Kumar Mithilesh Prasad Singh)

"कुमार मिथिलेश प्रसाद सिंह - पिता : मथुरा प्रसाद सिंह माता : स्व. चन्द्रावती देवी जन्म : 11 अक्टूबर, 1968 शिक्षा : बी.एससी. प्रतिष्ठा (रसायन शास्त्र)। प्रकाशित कृतियाँ : काव्य-युगान्तर के फूल, जीवन घट अमृत, इबारत रोशनी, रोशनी पोशीदा है, परिवर्तन की भेंट, छाया का अभिसार, मौसम का कहना, आगे सिर्फ़ तिरंगा। कहानी-मुर्दालोक, बूढ़ा समय आदि । लेखन अभिरुचि: सामाजिक क्रिया-कलाप और जनहित कार्य में विशेष अभिरुचि। दलितों, दमितों, शोषितों, उत्पीड़ितों एवं आर्थिक-सामाजिक रूप से पिछड़ों के मामलों में अत्यधिक संवेदनशील । चिन्ता के धुर बिन्दुओं पर ठिठके प्रस्थानिकों के हित पोषण एवं संवर्धन के लिए सदैव तत्पर । सम्मान/पुरस्कार : जीवन घट अमृत के लिए 'भारतेन्दु हरिश्चन्द्र पुरस्कार' अखिल भारतीय हिन्दी साहित्य परिषद, सहरसा शाखा द्वारा प्रदत । 'बी.सी. राय पुरस्कार' के. सी. त्रिपाठी महामहिमं राज्यपाल बिहार पश्चिम, बंगाल की ओर से प्रशस्ति-पत्र । सम्प्रति : बिहार प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी। इन दिनों वरीय उपसमाहर्ता, पटना, बिहार।"

Write Your Own Review
You're reviewing:Pratyakshvad
Your Rating
कॉपीराइट © 2025 वाणी प्रकाशन पुस्तकें। सर्वाधिकार सुरक्षित।

डिज़ाइन और विकास: Octagon Technologies LLP