Publisher:
Bharatiya Jnanpith

Premchand : Dalit Evam Stree Vishayak Vichar

In stock
Only %1 left
SKU
Premchand : Dalit Evam Stree Vishayak Vichar
Rating:
0%
As low as ₹133.00 Regular Price ₹140.00
Save 5%
"प्रेमचन्द : दलित एवं स्त्री विषयक विचार - प्रेमचन्द पर गाँधीजी के विचारों का प्रभाव था। लेकिन वे गाँधीजी के विचारों को आँख मूँदकर स्वीकार करनेवालों में न थे। कहा जा सकता है कि प्रेमचन्द का गाँधीवाद के साथ एक आलोचनात्मक रिश्ता था। उनकी लेखनी की सबसे बड़ी ताक़त विचारों की व्यापकता है। यह पुस्तक उनके विचारों का संकलन है जिसमें इस महान रचनाकार की सोच सीधे प्रतिबिम्बित होती है। प्रेमचन्द अपने समय के सम्भवतः अकेले ऐसे रचनाकार थे जिन्होंने हिन्दुस्तान के समाजशास्त्र और अर्थशास्त्र—दोनों को ठीक से समझा था। उनकी यही समझ उन्हें किसानों-दलितों और स्त्रियों के पक्ष में खड़ा करती है। भारत जैसे विकासशील देशों के विषय में कार्ल मार्क्स ने कभी कहा था, ""वहाँ स्त्रियाँ दोहरे शोषण की शिकार हैं।"" प्रेमचन्द के समय और सन्दर्भ में इस कथन की व्याख्या स्वयंसिद्ध है। उन दिनों भारतीय स्त्रियों का शोषण विदेशी निज़ाम और देशी सामन्तवाद—दोनों के द्वारा हो रहा था। प्रेमचन्द ने बहुत बारीकी से इस तथ्य को समझा था। 'सेवासदन' की सुमन और 'कर्मभूमि' की मुन्नी जैसे चरित्रों के माध्यम से उन्होंने स्त्री-शोषण के रूपों को प्रकाशित किया। उनके समय में हुए स्त्री आन्दोलनों में एक आन्दोलन वेश्याओं के सुधार से सम्बन्धित था। प्रेमचन्द ने इस आन्दोलन का खुलकर समर्थन किया। आजकल हिन्दी में दलित लेखन एक आन्दोलन के रूप में चल रहा है। प्रेमचन्द को दलित लेखक महत्त्वपूर्ण लेखक तो मानते हैं लेकिन उनकी चेतना को क्रान्तिकारी नहीं मानते। अपने समय में प्रेमचन्द हिन्दी के अकेले ऐसे लेखक थे, जिन्होंने दलित समाज की उन्नति और दलित आन्दोलनों की सफलता हेतु पर्याप्त लेखन किया। आज के दलित लेखकों की उनसे सहमति-असहमति का अपना महत्त्व है। प्रेमचन्द के शोधार्थियों व विद्यार्थियों के लिए यह पुस्तक एक संचयन की तरह है तो आम पाठकों के लिए भी बराबर की उपयोगी। "
ISBN
Premchand : Dalit Evam Stree Vishayak Vichar
Publisher:
Bharatiya Jnanpith
More Information
Publication Bharatiya Jnanpith
रवीन्द्र कालिया (Ravindra Kaliya)

रवीन्द्र कालिया

जन्म : 11 नवम्बर, 1938; जालन्धर, पंजाब।

शिक्षा : हिन्दी साहित्य में एम.ए.।

कुछ समय तक हिसार के डिग्री कॉलेज में प्राध्यापन।

प्रमुख कृतियाँ : ‘खुदा सही सलामत है’, ‘17 रानाडे रोड’, ‘ए.बी.सी.डी.’ (उपन्यास); ‘नौ साल छोटी पत्नी’, ‘सत्ताईस साल की उम्र तक’, ‘ग़रीबी हटाओ’, ‘चकैया नीम’, ‘ज़रा-सी रोशनी’, ‘गलीकूचे’, ‘रवीन्द्र कालिया की कहानियाँ’ (कहानी); ‘कॉमरेड मोनालिज़ा’, ‘स्मृतियों की जन्मपत्री’, ‘मेरे हमक़लम’, ‘सृजन के सहयात्री’, ‘ग़ालिब छुटी शराब’ (संस्मरण); ‘नींद क्यों रात-भर नहीं आती’, ‘तेरा क्या होगा कालिया’, ‘राग मिलावट मालकौंस’ (व्यंग्य)।

सम्पादन : भारत सरकार द्वारा प्रकाशित ‘भाषा’ का सह-सम्पादन। ‘धर्मयुग’ में वरिष्ठ उप-सम्पादक। ‘मेरी प्रिय सम्पादित कहानियाँ’, ‘मोहन राकेश की श्रेष्ठ कहानियाँ’ सहित लगभग पचास पुस्तकों का सम्पादन। ‘वर्तमान साहित्य’ के कहानी महाविशेषांक, ‘साप्ताहिक गंगा यमुना’, ‘वागर्थ’ और ‘नया ज्ञानोदय’ का सम्पादन।

सम्मान व पुरस्कार : ‘शिरोमणि साहित्य सम्मान’ (पंजाब शासन), ‘राममनोहर लोहिया सम्मान’, ‘साहित्य भूषण सम्मान’, ‘प्रेमचन्द सम्मान’ (उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान); ‘पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी पुरस्कार’ (मध्य प्रदेश शासन) आदि।

अन्तरराष्ट्रीय साहित्यिक कार्यक्रमों के सन्दर्भ में अमेरिका, इंग्लैंड, जापान, सूरीनाम, दक्षिण अफ़्रीका आदि देशों की यात्राएँ।

विभिन्न विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में रचनाएँ शामिल। देश-विदेश की कई भाषाओं में रचनाओं का अनुवाद। विभिन्न सामाजिक-साहित्यिक संस्थाओं के सदस्य रहे रवीन्द्र कालिया ‘भारतीय ज्ञानपीठ’ के पूर्व निदेशक भी थे।

निधन : 09 जनवरी, 2016

Write Your Own Review
You're reviewing:Premchand : Dalit Evam Stree Vishayak Vichar
Your Rating
कॉपीराइट © 2025 वाणी प्रकाशन पुस्तकें। सर्वाधिकार सुरक्षित।

Design & Developed by: https://octagontechs.com/