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राधा माधव रंग रँगी

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राधा माधव रंग रँगी - 
महाकवि जयदेव की कालजयी काव्यकृति 'गीतगोविन्द' भारत के सर्जनात्मक इतिहास की ऐसी महत्त्वपूर्ण घटना है जो निरन्तर प्रत्यक्ष अनुभव की जाती रही है; और आगे भी की जाती रहेगी। 'गीतगोविन्द' को देखने-सुनने और समझने की भी एक अविच्छिन्न परम्परा रही है, और यह परम्परा ही उसे एक जीवनरस सृष्टि के रूप में परसे हुए है। इसी परम्परा में एक और नयी कड़ी है यह पुस्तक—'राधा माधव रंग रँगी'।
'राधा माधव रंग रँगी' मूर्द्धन्य साहित्यकार और चिन्तक पं. विद्यानिवास मिश्र द्वारा की गयी 'गीतगोविन्द' की सरस व्याख्या है। विभिन्न भाषाओं में हुई 'गीतगोविन्द' की टीकाओं और व्याख्याओं के बीच यह व्याख्या निस्सन्देह अद्भुत है, अद्वितीय है। इसमें जिस सूक्ष्मता से 'गीतगोविन्द' का विवेचन हुआ है, वह विलक्षण तो है ही, भावविभोर और मुग्ध कर लेनेवाला भी है। दरअसल डॉ. विद्यानिवास मिश्र ने जयदेव की इस कृति को जिस स्तर पर जाना-पहचाना है, वह राधा और कृष्ण के स्वरूप पर अनोखा प्रकाश डालता है। पण्डित जी ने अपनी लालित्यपूर्ण सशक्त अभिव्यक्ति द्वारा इस काव्यकृति को नये अर्थ और नयी भंगिमाएँ दी हैं। कहना न होगा कि उनके शब्द 'गीतगोविन्द' के सार को जिस ढंग से पहचानते हैं, वह जयदेव की अप्रतिम काव्यात्मक अनुभूति के साथ ही स्वयं पण्डित जी की गहरी चेतना का भी साक्षी है।
साहित्य के सुधी अध्येताओं के लिए एक ऐसी अनूठी पुस्तक जिसे पढ़ना एक प्रीतिकर उपलब्धि होगी।...

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9789357756891
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विद्यानिवास मिश्र (Dr. Vidyaniwas Mishr)

"विद्यानिवास मिश्र - जन्म: 1926, गोरखपुर, उत्तर प्रदेश। हिन्दी एवं संस्कृत साहित्य के विशिष्ट विद्वान एवं लेखक साहित्य अकादेमी, कालिदास अकादेमी, केन्द्रीय हिन्दी संस्थान आदि अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्बद्ध तथा देश-विदेश के अनेक विश्वविद्यालयों में विज़िटिंग प्रोफ़ेसर रहे। क.मा. मुंशी भाषाविज्ञान संस्थान, आगरा के निदेशक, सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय एवं काशी विद्यापीठ, वाराणसी के उपकुलपति तथा 'नवभारत टाइम्स' के प्रधान सम्पादक रहे। 'पद्मभूषण' और 'पद्मश्री' उपाधियों से अलंकृत। प्रकाशन : हिन्दी और अंग्रेज़ी में 20 से अधिक पुस्तकें, जिनमें 'मॉडर्न हिन्दी पोएट्री', 'द इंडियन पोयटिक ट्रेडीशन’, ‘राधा माधव-रंग रंगी', 'महाभारत का काव्यार्थ' और 'भारतीय भाषा दर्शन की पीठिका' प्रमुख हैं। 14 फ़रवरी, 2005 को देहावसान। "

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