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"रूपाम्बरा - 1960 में प्रथम बार प्रकाशित 'रूपाम्बरा' का यह 'पुनर्नवा' संस्करण है। आधुनिक हिन्दी काव्य-संसार में प्रकृति केन्द्रित अभिव्यक्तियों का एक भरा-पूरा उद्यान है। सम्पादक सच्चिदानन्द वात्स्यायन ने इसमें से चुनकर एक स्तवक बनाया है। संकलन की विशिष्टता रेखांकित करते हुए सम्पादक ने भूमिका में कहा है, ""कालिदास ‘प्रकृति के चौखटे में मानवी भावनाओं का चित्रण' करते थे; आज का कवि 'समकालीन मानवीय संवेदना के चौखटे में प्रकृति' को बैठाता है। और, क्योंकि समकालीन मानवीय संवेदना बहुत दूर तक विज्ञान की आधुनिक प्रवृत्ति से मर्यादित हुई है, इसलिए यह भी कहा जा सकता है कि आज का कवि प्रकृति को विज्ञान की अधुनातन अवस्था के चौखटे में भी बैठाता है।"" संकलित कविताओं के साथ, भूमिका और प्रकृति-काव्य का विश्लेषण करते हुए कुछ लेख इस संकलन को महत्त्वपूर्ण बनाते हैं। रघुवीय सहाय की पंक्ति है, 'मन में पानी के अनेक संस्मरण हैं', इस संकलन में प्रकृति के ऐसे ही अनेक संस्मरण हैं— स्मृतियों को उकसाते, वर्तमान को उल्लसित करते और भविष्य को आश्वस्त करते। 'रूपाम्बरा' के इस 'पुनर्नवा' संस्करण को पाठकों का व्यापक आदर प्राप्त होगा, ऐसा विश्वास है। "
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सच्चिदानन्द (Satchidananda )

"सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन अज्ञेय - (7 मार्च 1911 — 4 अप्रैल 1987) मानव मुक्ति एवं स्वाधीन चिन्तन के अग्रणी कवि-कथाकार, आलोचक-सम्पादक। कुशीनगर, देवरिया (उ.प्र.) में एक पुरातत्त्व उत्खनन शिविर में जन्म। बचपन लखनऊ, पटना, मद्रास, लाहौर में। बी.एससी. लाहौर से। 1924 में पहली कहानी व 1927 में पहली कविता का लेखन। इस बीच हिन्दुस्तान रिपब्लिक आर्मी के चन्द्रशेखर आज़ाद, सुखदेव और भगवतीचरण बोहरा से सम्पर्क। क्रान्तिकारी जीवन। दिल्ली में हिमालयन टॉयलेट फैक्ट्री के पर्दे में बम बनाने का कार्य। 15 नवम्बर, 1930 में गिरफ़्तारी, जेलयात्रा। इसी यातना काल में 'चिन्ता' एवं 'शेखर: एक जीवनी' की रचना। जैनेन्द्र कुमार, प्रेमचन्द, मैथिलीशरण गुप्त, रायकृष्ण दास से सम्पर्क बढ़ा। प्रकाशन : सोलह कविता-संग्रह, आठ कहानी-संग्रह, तीन उपन्यास, दो उपन्यास अधूरे तथा एक प्रयोगशील उपन्यास मित्रों के साथ 'तारसप्तक' (1943) के प्रकाशन के साथ साहित्य में तमाम नयी सोच से भारी बहसों का आरम्भ। 'सैनिक', 'विशाल भारत', 'दिनमान', 'प्रतीक' आदि अनेक पत्रिकाओं का सम्पादन। साहित्य अकादेमी पुरस्कार, भारत-भारती पुरस्कार, ज्ञानपीठ पुरस्कार एवं अन्तर्राष्ट्रीय गोल्डन रीथ पुरस्कार सहित अनेक पुरस्कारों से सम्मानित। एक साहसी यायावर के नाते यूरोप, अमेरिका, एशिया के कई देशों में व्याख्यान एवं अन्य साहित्यिक आयोजन। "

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