Publisher:
Vani Prakashan

साख

In stock
Only %1 left
SKU
Saakh
Rating:
0%
As low as ₹239.20 Regular Price ₹299.00
Save 20%
"कहानी कैसे जीवन का ही एक ढंग हो जाती है, कैसे वह स्वयं से संवाद होती है और किस तरह वह अपने ही आत्मा से सम्बोधित होते हुए जगत को भी सम्बोधित करने लगती है—इस विलक्षणता को देखना और महसूस करना हो तो शर्मिला की कहानियों को पढ़ना होगा। इन कहानियों में घटनाएँ उतनी महत्त्वपूर्ण नहीं जितनी कि स्थितियाँ हैं। चरित्र यथार्थ की निर्मिति है या नहीं, प्रश्न यह भी नहीं है, इनमें समाज और उससे जुड़े मानवीय तकाजे हैं जो पात्रों का रूप धरते हैं और एक बड़े मानवीय विमर्श से हमारा सामना कराते हैं और यह बेहद महत्त्वपूर्ण है। प्रचलित अर्थों में इसमें स्त्री-संसार है, स्त्रियों के बड़े प्रश्न हैं, पर इसे स्त्री-प्रश्नों तक सीमित करके देखना, संग्रह के साथ अन्याय करना है, इसलिए कि पूरा समाज यहाँ अपनी विरूपता के साथ मौजूद है जिन पर विचार करना अपनी सभ्यता पर विचार करना है। यह कहानियाँ आत्मा से व्यक्त हुई हैं, हृदय और चिन्तन के मेल से देखे - अदेखे संसार को लेखिका ने जिस तरह व्यक्त किया है, वह सहज ही हमारे भावों को छूता है । यह संसार जितना हमारे बाहर का उतना ही अन्तर का भी। यही कारण है कि इनमें जितना व्यक्त हुआ है उतना ही अव्यक्त भी है। भाषा, कथ्य और सर्जन की यह दक्षता शर्मिला जालान को आज के उल्लेखनीय कहानीकारों में शामिल करती है। —ज्योतिष जोशी ★★★ “एक कहानीकार या उपन्यासकार एक साथ अतीत, वर्तमान और भविष्य के सम्मुख होता है और वह ऐसी चीज़ों को लिखता है जिनको वह जानता है, जिनको जानने की प्रक्रिया उसके भीतर चल रही होती है और जिनके बारे में वह अनिश्चित होता है यानी जो उसे अपनी समझ के धरातल पर प्रकट नहीं हुई मालूम पड़ती है। इस प्रकार अपने चेतन और अवचेतन दोनों को जगा कर लिखता है। यह सारा व्यापार एक संसार का निर्माण करता है।"" —अशोक सेकसरिया ('कहानी और उपन्यास की उपयोगिता', कण, अंक-4, अक्टूबर-दिसम्बर 1991 से साभार) "
ISBN
Saakh
Publisher:
Vani Prakashan
More Information
Publication Vani Prakashan
शर्मिला जालान (Sharmila Jalan)

"शर्मिला जालान जन्म : 7 जुलाई 1973 शिक्षा : कलकत्ता विश्वविद्यालय से एम. ए., एम.फिल.। उपन्यास : ‘शादी से पेशतर’ (2001), ‘उन्नीसवीं बारिश’ (2022); कहानी-संग्रह : ‘बूढ़ा चाँद’ (2008), ‘राग-विराग और अन्य कहानियाँ’ (2018), माँ, मार्च और मृत्यु (2019)। उपलब्धियाँ : बूढ़ा चाँद पर 16-18 बार मुम्बई, पटना आदि जगहों पर मंचन। सम्मान : ‘भारतीय भाषा परिषद युवा पुरस्कार' (2004), 'कन्हैयालाल सेठिया सारस्वत सम्मान'। "

Write Your Own Review
You're reviewing:साख
Your Rating
कॉपीराइट © 2025 वाणी प्रकाशन पुस्तकें। सर्वाधिकार सुरक्षित।

डिज़ाइन और विकास: Octagon Technologies LLP