साधना से संवाद
साधना से संवाद
'साधना से संवाद' साक्षात्कार विधा को समृद्ध करने वाली एक महत्त्वपूर्ण पुस्तक है। साक्षात्कार लेने की कला में निष्णात प्रेम कुमार ने हिन्दी, उर्दू और राजस्थानी के पन्द्रह साहित्यकारों से बातचीत करते हुए उनके अन्तरंग में प्रवेश किया है। निर्मल वर्मा, कुर्रतुलऐन हैदर, कमलेश्वर, कुँवर नारायण, रघुवंश, मनोहरश्याम जोशी, श्रीलाल शुक्ल, विजयदान देथा, मन्नू भंडारी, नीरज, गोपीचन्द नारंग, गिरिराज किशोर, जोगिन्दर पाल, विष्णुकान्त शास्त्री और सुशीला डोभाल के जीवन और कर्तृत्व के विविध प्रसंगों पर प्रेम कुमार ने अपने प्रश्न केन्द्रित किये हैं। प्रश्न सतर्क हैं और उत्तर सुचिन्तित । प्रत्येक रचनाकार ने आत्मविश्लेषण करते हुए विस्तार से अपना पक्ष सामने रखा है। यह उल्लेखनीय है कि इस उत्तर-प्रक्रिया से एक 'संवाद' सम्भव हुआ है।
साक्षात्कार का सबसे बड़ा लाभ यह है कि उसमें व्यक्त विचारों की राह पकड़कर पाठक सम्बद्ध साहित्यकार के लेखन में नयी तरह से प्रवेश कर सकता है। रचनाओं में प्रायः जो अव्यक्त रह जाता है वह इस तरह के विचार-विमर्श में सहज ही प्रकट हो जाता है; यह इसलिए कि साक्षात्कारों को पढ़ते हुए पाठक को अनेक रचनात्मक सन्दर्भों का स्मरण हो आता है। यह भी सम्भावना है कि पाठक को अपने मन में समय-समय पर उठनेवाली जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त हो।
'साधना से संवाद' साक्षात्कार विधा में एक उल्लेखनीय गुणवृद्धि है।
Publication | Bharatiya Jnanpith |
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