Publisher:
Bharatiya Jnanpith

सागर तठ के शहर

In stock
Only %1 left
SKU
9788126316526
Rating:
0%
As low as ₹104.00 Regular Price ₹130.00
Save 20%
"सागर तट के शहर - हिमांशु जोशी का कथा-संसार स्वयं में बहुत व्यापक और विस्तृत है। अनेक आयामों को छूती हैं उनकी रचनाएँ। उनमें सरलता, सहजता ही नहीं, जीवन का वह यथार्थ भी है, जो किसी कृति को सार्थक बनाता है, एक नयी पहचान देकर। अनुभव एवं अनुभूतियों की जीवन्त रेखाओं से उकेरे ये चौदह चित्र अनेक प्रश्न ही नहीं जगाते बल्कि समाधान भी प्रस्तुत करते हैं। इनके सजीव पात्रों के आईने में जो संसार प्रतिबिम्बित होता है, वह कहीं अपना-सा ही लगने लगता है—जैसे अपनी ही अनुभूतियों के अनेक अक्स। कहानी मात्र कहानी न रहकर यथार्थ भी बन जाये, यह स्वयं में एक उपलब्धि है। आज की वास्तविकताएँ इन रचनाओं में नाना रूपों एवं रंगों में उजागर होकर बहुत कुछ सोचने के लिए विवश करती हैं। वर्तमान कहानियों के बीच अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाती ये सहज रचनाएँ, जिस रूप में स्वयं को परिभाषित करती हैं, वह चौंकाता ही नहीं, गम्भीर विमर्श की ज़मीन भी तैयार करता है। आने वाले कल की कहानी का स्वरूप भी इनमें झलकता हुआ मिलता है, जहाँ विधाएँ बन्धनमुक्त होकर एक नयी विधा की सृष्टि करती हैं। "
ISBN
9788126316526
Publisher:
Bharatiya Jnanpith
More Information
Publication Bharatiya Jnanpith
हिमांशु जोशी (हिमांशु जोशी)

"हिमांशु जोशी - हिन्दी के अग्रणी कथाकार एवं पत्रकार। जन्म: 4 मई, 1935, उत्तरांचल में। 'अरण्य', 'महासागर', 'समय साक्षी है', 'छाया मत छूना मन', 'तुम्हारे लिए', 'सु-राज', 'सागर तट के शहर' उपन्यास चर्चित रहे। 'अन्ततः तथा अन्य कहानियाँ', 'मनुष्य-चिह्न तथा अन्य कहानियाँ', 'जलते हुए डैने तथा अन्य कहानियाँ', 'इस बार फिर बर्फ़ गिरी तो', 'इकहत्तर कहानियाँ', आदि लगभग चौदह कहानी-संग्रह; 'नील नदी का वृक्ष', 'अग्निसम्भव' कविता संग्रह; 'यात्राएँ' तथा 'सूरज चमके आधी रात' यात्रा-वृत्तान्त; 'यातना शिविर में' तथा 'आठवाँ सर्ग' संस्मरण उल्लेखनीय हैं। "

Write Your Own Review
You're reviewing:सागर तठ के शहर
Your Rating
कॉपीराइट © 2025 वाणी प्रकाशन पुस्तकें। सर्वाधिकार सुरक्षित।

डिज़ाइन और विकास: Octagon Technologies LLP