साहित्य, संगीत और दर्शन
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साहित्य संगीत और दर्शन-हिन्दी के मार्क्सवादी साहित्य समीक्षकों के लिए ए.ए. ज़्दानोव का नाम अपरिचित नहीं है। साहित्य समीक्षा सम्बन्धी उनके उद्धरण भी यत्र-तत्र देखने को मिल जाते हैं लेकिन उनकी कोई भी रचना अब तक हिन्दी में उपलब्ध नहीं थी। पहली बार उनकी पुस्तक 'साहित्य, संगीत और दर्शन' का हिन्दी अनुवाद प्रकाशित किया गया है। शीतयुद्ध के दिनों में प्रतिक्रियावादी खेमे से ज़्दानोव तरह-तरह के आरोप लगाए गए थे। लेकिन इस पुस्तक के लेखों को पढ़ने से उनकी एक भिन्न तस्वीर उभरकर सामने आती है, वह है साहित्य और कला मर्मज्ञ की तस्वीर। साथ ही उससे यह भी पता चलता है कि कैला और साहित्य के प्रति समाजवादी दृष्टिकोण और नीतियाँ क्या हो सकती हैं।
ISBN
9789350009901
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