साहित्य विचार
साहित्य विचार -
साहित्य सम्बन्धी द्विवेदीजी के कुछ विचारों एवं मान्यताओं को प्रस्तुत करने वाली यह पुस्तक ऐतिहासिक महत्व की है। द्विवेदीजी ने सबसे अधिक कविता-विधा पर (कई निबन्धों के द्वारा) अपने विचार प्रकट किये हैं। कविता-विषयक इन निबन्धों में कविता के शास्त्रीय पहलुओं पर विचार करने के साथ-साथ वे आधुनिक कविता का वैचारिक आधार भी प्रस्तुत करते है, जिनसे बल पाकर उनके समय के कवियों ने कविता को नायिका-भेद, समस्या-पूर्ति और ब्रजभाषा की रीतिवादी कविता के दलदल से निकालकर आधुनिक स्वरूप प्रदान किया, जिसमें राष्ट्रीय चेतना भी है और अपने समय की समस्याओं का विशद् विवेचन भी। द्विवेदीजी 1901 ई. में ही कविता के गद्य में भी सम्भव होने की बात कर रहे थे तथा अतुकान्त कविता लिखे जाने पर भी ज़ोर दे रहे थे। द्विवेदीजी ने स्वयं अतुकान्त और गद्य में कविता लिखकर कवियों के सामने एक आदर्श रखा। 'कविता का भविष्य' निबन्ध में उन्होंने भावी स्वच्छन्दतावादी कविता अर्थात् छायावादी कविता की आधारशिला रखी तथा भविष्य में कविता किसानों-मज़दूरों पर लिखी जायेगी, इसकी स्पष्ट घोषणा की।
अन्तिम पृष्ठ आवरण -
महावीर प्रसाद द्विवेदी आलोचना और समीक्षा विधा को हिन्दी में स्थापित करने वाले पहले लेखक थे। उनके पूर्व भारतेन्दु युग के लेखकों ने उसका बीज वपन कर दिया था, पर उसे पुष्पित पल्लवित और स्थापित करने के लिए जो संघर्ष महावीर प्रसाद द्विवेदी ने किया, उसका एक गौरवशाली इतिहास है। द्विवेदीजी ने अपने आलोचनात्मक लेखन के द्वारा अपने युग के लेखकों के सामने साहित्य की अधिकांश महत्त्वपूर्ण विधाओं पर अपने क्रान्तिकारी विचार प्रस्तुत किये और उन्हें एक सही दिशा दी, जिस पर चलकर हिन्दी साहित्य अपनी गरिमा को प्राप्त कर सका।