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Bharatiya Jnanpith

साहित्यालोचन

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साहित्यालोचन  - 
यह पुस्तक साहित्य और दूसरी कलाओं की मूल अवधारणाओं का निरूपण करती है। पुस्तक में कला के भिन्न-भिन्न रूपों, और विशेष रूप से साहित्य की विभिन्न श्रेणियों के आस्वादन और तदनुरूप उनके विवेचन की आधारशिला रखी गयी है। विभिन्न अध्यायों के अन्तर्गत कला, साहित्य, कविता, दृश्य काव्य, श्रव्य काव्य, रस और शैली, साहित्य की आलोचना आदि पर विस्तार से और गम्भीरता के साथ विचार मन्थन किया गया है। इस पुस्तक का उद्देश्य साहित्य और अन्यान्य कलाओं की विविधताओं में अन्तःसम्बन्ध की अनिवार्यता का होना दिखाता है जो पाठकों और सर्जकों के लिए उपयोगी प्रतीत होता है।

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9789326352048
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Bharatiya Jnanpith
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Publication Bharatiya Jnanpith
डॉ श्याम सुंदर दास (Dr. Shyam Sundar Daas)

"डॉ. श्यामसुन्दर दास - डॉ. श्यामसुन्दर दास (15 जुलाई, 1875 - 1945 ई.) हिन्दी के अनन्य साधक, विद्वान् आलोचक और शिक्षाविद् थे। हिन्दी साहित्य और बौद्धिकता के पथ-प्रदर्शकों में उनका नाम अविस्मरणीय है। हिन्दी-क्षेत्र के साहित्यिक-सांस्कृतिक नवजागरण में उनका योगदान विशेष रूप से उल्लेखनीय है। उन्होंने और उनके साथियों ने मिल कर सन् 1893 में काशी नागरी प्रचारिणी सभा की स्थापना कर साहित्य के संसार में अपना अविस्मरणीय योगदान दिया। "

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