समाचार पत्रों की भाषा
हिन्दी एक विशाल भू-भाग की भाषा है। भूमण्डलीकरण व आर्थिक उदारीकरण के दौर से इसका फलक और ज्यादा विस्तृत हुआ है। शंकरा तो यह की गयी थी कि भूमण्डलीकरण से भारतीय भाषाओं की स्थिति पोच होगी मगर यह धारणा गलत साबित हुई। आज सभी विदेशी कम्पनियाँ देशी-विदेशी टी.वी. चैनल हिन्दी का प्रयोग कर रहे हैं लेकिन इसकी प्रयुक्ति में बदलाव जरूर आया है। यह परिवर्तन हिन्दी की सभी प्रयुक्तियों में साहित्यिक, राजभाषिक, आर्थिक व संचार माध्यमिक में भी हुआ है। समाचार-पत्रों की भाषा में भी यह परिवर्तन स्वाभाविक है क्योंकि आम जनता तक आज भी समाचार-पत्र ही पहुँचते हैं। सूचना प्रौद्योगिकी (इनफॉरमेशन टेक्नॉलोजी) कितनी ही अति आधुनिक हो जाये लेकिन समाचार-पत्रों की महत्ता कभी कम न होगी। हिन्दी पत्रकारिता में समाचार-पत्रों की भाषा पर बहुत कम काम हुआ है। हुआ भी है तो वह आम पाठक के सम्मख नहीं आ पाया है। पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए भी इस तरह की कोई पुस्तक सम्भवतः बाज़ार में नहीं आयी है। यह पुस्तक सम्भवतः इस दिशा में विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करने में सफल होगी।