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Santoor : Mera Jeevan Sangeet

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"सन्तूर : मेरा जीवन संगीत - ऐसा संगीतकार कई सदियों में एक बार ही पैदा होता है। —ज़ाकिर हुसैन पं. शिवकुमार शर्मा भारत के संगीत शिरोमणियों में से एक हैं। जम्मू में जनमे और एक ऐसे घर में पले-बढ़े जहाँ सुबह से शाम तक कोई-न-कोई गाता या बजाता रहता था, पं. शिवकुमार शर्मा ने अपना संगीत-जीवन बनारस में प्रशिक्षित अपने पिता की छत्रछाया में एक तबलावादक के रूप में आरम्भ किया। जब वे चौदह वर्ष के थे, उनके पिता एक दिन श्रीनगर से एक सन्तूर लेकर आये और घोषणा की कि उनके पुत्र को अपने जीवन का सही लक्ष्य मिल गया है। उन्होंने केवल परम्परागत कश्मीरी सूफ़ियाना गीतों में प्रयुक्त होनेवाले वाद्ययन्त्र को अपने हाथों में लिया और अगले कई वर्ष उस पर शल्य प्रयोग करके उसे हिन्दुस्तानी रागों के अनुकूल बनाया। इस सरस संस्मरण में कलाकार शान्त जम्मू कश्मीर में अपनी युवावस्था, बम्बई में एक संघर्षरत युवा कलाकार के रूप में ऑल इंडिया रेडियो के साथ अपने लम्बे और खट्टे मीठे सम्बन्धों, फ़िल्म जगत में अपने कार्य, मंच पर अपने सबसे रोमांचक पल, विश्वभर में अपने दौरों और सबसे अधिक संशयवादी और कभी-कभी हीनभावना से देखने वाले आलोचकों के बीच सन्तूर को एक शास्त्रीय वाद्ययन्त्र के रूप में स्थापित करने के संघर्ष को याद करता है। साथ ही, वह अपने कई सम्बन्धों और मुलाक़ात, गुरु शिष्य बन्धन, लम्बी-मित्रताओं, चमत्कारी जुगलबन्दियों और अच्छी-बुरी संगीत स्पर्धाओं को उजागर करता जाता है। यहाँ पं. हरिप्रसाद चौरसिया, पं. रविशंकर, उस्ताद अल्लाहरक्खा खान, ज़ाकिर हुसैन, ब्रजभूषण काबरा, जार्ज हैरीसन, यश चोपड़ा, लता मंगेशकर आदि अनेक लोकप्रिय नाम उपस्थित हैं। रियाज़ करते हुए, रिकार्डिंग करते हुए, शैली और तकनीक पर बहस करते हुए, अखिल भारतीय समारोहों का जमावड़ा और एक लम्बे दिन के बाद एक दूसरे के लिए खाना पकाना भी दर्ज है। यहाँ समयबद्ध किया गया जीवन है जिसमें व्यावसायिक उपलब्धियाँ, निजी सम्बन्ध और निर्मल ऐकान्तिक कलाकारी है। शिवकुमार शर्मा कहते हैं, ""मैं यहाँ अपने संगीत द्वारा लोगों के मन तक पहुँचने और उसे छूने के लिए आया हूँ और मैं अपना यह कर्तव्य पूरी निष्ठा से निभाऊँगा।"" "
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पंडित शिवकुमार शर्मा (Pandit Shivkumar Sharma)

"""पंडित शिवकुमार शर्मा - पंडित शिवकुमार शर्मा (जन्म: 13 जनवरी, 1938, जम्मू, भारत) प्रख्यात भारतीय सन्तूर वादक हैं। सन्तूर एक कश्मीरी लोकवाद्य होता है। इनके पिता ने सन्तूर वाद्य पर अत्यधिक शोध किया और यह दृढ़ निश्चय किया कि शिवकुमार प्रथम भारतीय होंगे जो भारतीय शास्त्रीय संगीत को सन्तूर पर बजायेंगे। इन्होंने मात्र 13 वर्ष की आयु से ही सन्तूर बजाना आरम्भ किया और आगे चलकर अपने पिता का स्वप्न पूरा हुआ। इन्होंने अपना पहला कार्यक्रम मुम्बई में 1955 में किया था। शिवकुमार शर्मा ने कई संगीतकारों जैसे ज़ाकिर हुसैन और हरिप्रसाद चौरसिया के साथ मिलकर काम किया है। उन्होंने हिन्दी फ़िल्मों जैसे 'सिलसिला', 'लम्हें', आदि के लिए संगीत दिया। उनके कुछ प्रसिद्ध एल्बमों में 'कॉल ऑफ़ द वैली', 'सम्प्रदाय', 'एलीमेंट्स : जल, संगीत की पर्वत, मेघ मल्हार', आदि हैं। शिवकुमार शर्मा को पद्मश्री, पद्म विभूषण, संगीत नाटक अकादेमी पुरस्कार, जम्मू विश्वविद्यालय से मानद डॉक्टरेट, उस्ताद हाफ़िज़ अली खान पुरस्कार, महाराष्ट्र गौरव पुरस्कार आदि जैसे कई प्रतिष्ठित पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हैं।

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ईना पुरी ( Ina Puri)

ईना पुरी - लेखिका, स्तम्भकार और क्यूरेटर। पुस्तकें-'ब्लैक ऐंड व्हाइट', 'जर्नी विद ए हंड्रेड स्ट्रिंग्स', 'व्हिस्पर्ड लिगेसी : ए रिट्रोस्पेटिव ऑफ़ अवनि सेन 'ज मिथिकल यूनीवर्स'। सम्पादन- 'फेसिज़ ऑफ़ इंडियन आर्ट', ललित कला अकादमी के लिए रीडिंग सीरिज और 'मनजीत बावा : लाइफ ऐंड टाइम्स'। डॉक्यूमेंट्री निर्माण- 'मीटिंग मनजीत', पं. शिवकुमार शर्मा की जीवनी पर आधारित 'अन्तर्ध्वनि' (2009) रजत कमल से पुरस्कृत।

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