सरकती रेत

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सरकती रेत  - 
नीलम शंकर की कहानियाँ समकालीन परिदृश्य से थोड़ा अलग होते हुए भी से समकालीन चेतना से गहराई से जुड़ी हुई है। इनमें व्यर्थ की नहीं है, त ही स्थितियों का ऐसा नज को हताशा और से भर से सीधी-सादी जिंदगियों की सीधी-सादी कहानिया है। इनम है, संघर्ष भी और सबसे ऊपर मनुष्य की का सम्मान।
उदाहरण के लिए, संग्रह की कमायी की ही लें। ग़रीब परिवार में जन्म लेने वाली रामकली गज की ख़ूबसूरत है और उतनी ही जीवन्त इसकी सजा उसे यह मिलती है कि गाँव से हटाने के लिए एक अड़ से उसका असमय विवाह करा दिया जाता है। समवाई यहाँ से विद्रोह करती है और अपने साहसी प्रेमी के साथ शहर जा कर अपना घर बसाती है। जीविका के लिए दोनों एक ईंट भट्ठे पर मज़दूरी करते हैं। यहाँ एक बार फिर उसकी ख़ूबसूरती उसके पाँवों की ज़ंजीर बन जाती है। उसके सामने तरह-तरह के प्रलोभन पेश किये जाते हैं, पर वह संयम से काम लेती है और ज़रूरत पड़ने पर अदम्य साहस से अनैतिक हस्तक्षेपों का प्रतिकार करती है। ऐसे कई असाधारण पात्र नीलम शंकर की कहानियों को चिर स्मरणीय बनाते हैं।
नीलम शंकर की सबसे बड़ी खूबी यह है कि वे न तो परम्परा के रूढ़ मूल्यों से बँधी हुई है और न आधुनिकता की आवारा हवाओं में बहने लगती हैं। उनके पास जीवन का एक सन्तुलित बोध है। वे यथार्थ के सभी पहलुओं का साक्षात्कार करते हुए एक ऐसे नैरेशन को जन्म देती हैं जिसमें ज़िन्दगी के सभी रंग घुले-मिले हैं। नीलम शंकर की सीधी-सादी, पर व्यंजनापूर्ण भाषा उनकी एक और उपलब्धि है, जिसके परिणामस्वरूप उनकी कहानियों में सहज ही अद्भुत पठनीयता आ गयी है।

ISBN
9789350002179
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