सत्संख्यादी अनुयोग-द्वार
सत्संख्यादि अनुयोग-द्वार
प्रस्तुत ग्रन्ध में सत्, संख्या, क्षेत्र, स्पर्शन, काल, अन्तर, भाव और अल्पबहुत्व के आधार से सभी गुणस्थान और मार्गणाओं को स्पष्ट किया है। इन आठ अनुयोगों में से सत्, भाव तथा अल्पबहुत्व का वर्णन तो सरल था, अतः वह तो मूल ग्रन्थ के अनुसार ज्यों का त्यों ही दिया है, परन्तु अन्य पाँच अनुयोगों को स्पष्ट करके अतिगहन विषय को सर्वोपयोगी बना दिया है। विभिन्न स्थानों पर रेखाचित्र भी दिये हैं, जिनसे विषय अत्यन्त सरल तथा ग्राह्य हो जाता है।
विशेष तौर पर प्रस्तुत पुस्तक में-
संख्या प्ररूपणा के अन्तर्गत अनन्तानन्त, असंख्यात तथा असंख्यातासंख्यात को अच्छी तरह बताया है।
क्षेत्र प्ररूपणा के अन्तर्गत श्रेणी, प्रतर आदि आठ राशियों को तथा केवली समुद्धात में रुद्ध क्षेत्र का वर्णन विशेषता से समझाया है। स्पर्शन प्ररूपणा के सरलीकरण के अन्तर्गत सासादन सम्यग्दृष्टि के स्पर्शन का स्पष्टीकरण।
काल प्ररूपणा में अन्तर्मुहूर्त गिनने का तरीका, योग-गुणस्थान आदि के परिवर्तनों की व्याख्या, लेश्याओं के जघन्य तथा उत्कृष्ट अन्तर का दिग्दर्शन ।
अन्तर प्ररूपणा में अन्तर्मुहूर्त कैसे लगाये जायेंगे, रेखाचित्रों द्वारा अन्तर को समझाने का ढंग अत्यन्त प्रशंसनीय है।
Publication | Bharatiya Jnanpith |
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