शब्द ढले अंगारों में - सुप्रसिद्ध ग़ज़लकार माधव कौशिक की ग़ज़लें आख़िरी पंक्ति के आख़िरी आदमी की ग़ज़लें हैं और रचनाकार इस विषय में पूर्णतया आश्वस्त है कि समय-सीमान्तों पर लड़े जाने वाले युद्ध में अन्तिम विजय आख़िरी पंक्ति के इस आख़िरी आदमी की ही होगी। उनकी ग़ज़लों में समय तथा समाज अपनी सम्पूर्ण जटिलता तथा विविधता के साथ सदैव उपस्थित रहता है। माधव कौशिक का नवीनतम ग़ज़ल संग्रह 'शब्द ढले अंगारों में' कई मायनों में उनके पहले संग्रहों से विशिष्ट है। सामाजिक विसंगतियों, विषमताओं तथा दुराग्रहों से ग्रस्त समसामयिक स्थितियाँ पहले से अधिक चुनौती पूर्ण हो गयीं हैं। चारों तरफ़ एक अजीब-सी अफरातफरी का माहौल है। अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद, हिंसा, विघटन, विस्थापन तथ मूल्यों के पतन ने मानव समाज तथा मानवीय मूल्यों को ख़तरे में डाल दिया है। इस संग्रह की ग़ज़लों में रचनाकार ने इन्हीं विषम स्थितियों का अंकन ही नहीं किया अपितु इनके विरुद्ध प्रतिरोध का स्वर भी बुलन्द किया है। यही वजह है कि समय तथा समाज के ताप और संताप को अभिव्यक्त करते-करते यह शब्द दहकते हुए अंगारों में परिवर्तित हो जाते हैं। रचनाकार की आन्तरिक बेचैनी, छटपटाहट तथा व्याकुलता ने इन ग़ज़लों को ग़ज़ब की तुर्शी तथा धारदार तेवर प्रदान किया है। आम आदमी के संघर्ष तथा उसके सपने, उसकी आशा व निराशा तथा उसके उत्पीड़न तथा उत्थान की मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति इस संग्रह की सबसे बड़ी विशेषता है।
"माधव कौशिक -
जन्म: 1 नवम्बर, 1954।
शिक्षा: एम.ए. (हिन्दी), बी.एड., स्नातकोत्तर अनुवाद डिप्लोमा, साहित्यवाचस्पति (मानद)।
प्रकाशन: विभिन्न विधाओं की 37 पुस्तकें प्रकाशित। जिनमें 16 ग़ज़ल-संग्रह, 2 खण्ड-काव्य, 3 नवगीत, 3 कथा-संग्रह, 4 कविता संग्रह, 2 बाल साहित्य, 2 अनुवाद, 13 सम्पादन, 2 आलोचना पुस्तकें प्रमुख है। साहित्य पर विभिन्न विश्वविद्यालयों के अन्तर्गत एम.फिल. एवं पीएच.डी. शोध कार्य। कुछ पुस्तकों का संस्कृत, उर्दू, पंजाबी, अंग्रेज़ी, ओड़िया तथा असमिया में अनुवाद।
साहित्यिक विदेश यात्राएँ: 9वें विश्व हिन्दी सम्मेलन जोहान्सबर्ग, दक्षिण अफ्रीका में भारत का प्रतिनिधित्व किया (2012), शारजहा (यू.ए.ई) में आयोजित विश्व लेखक सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व किया (2013), आबूधाबी, यू.ए.ई. में आयोजित विश्व पुस्तक मेले में राष्ट्रीय साहित्य अकादेमी का प्रतिनिधित्व किया (2019), मैक्सिको में आयोजित विश्व पुस्तक मेले में राष्ट्रीय साहित्य अकादेमी का प्रतिनिधित्व किया (2019 )।
सम्मान पुरस्कार: हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा बाबू बालमुकुन्द गुप्त सम्मान 2005, अखिल भारतीय बलराज साहनी पुरस्कार 2006, हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा महाकवि सूरदास सम्मान 2010, भाषा विभाग पंजाब सरकार द्वारा शिरोमणि हिन्दी साहित्यकार सम्मान 2012, केन्द्रीय हिन्दी संस्थान द्वारा सुब्रह्मण्य भारती पुरस्कार 2018, हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा आजीवन साहित्य साधना सम्मान 2019, हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग द्वारा साहित्यवाचस्पति की उपाधि से अलंकृत 2020।
"