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शिकारगाह

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"शिकारगाह - चर्चित कथाकार ज्ञानप्रकाश विवेक की कहानियों में सामाजिक विडम्बनाओं के विभिन्न मंज़र उपस्थित रहते हैं। जटिल होते सम्बन्धों को वे अपनी संवेदनशील दृष्टि तथा नुकीली एकाग्रता से जाँचते-परखते हैं। पात्रों का द्वन्द्व और अकेले होते जाने की वेदना उनकी कहानियों को मार्मिक ही नहीं बनाती, अपितु भावनात्मक आरोह-अवरोह के साथ, प्रश्नाकुलता भी पैदा करती है। ज्ञानप्रकाश विवेक की कहानियाँ बाज़ारवादी तन्त्र से संचालित होते नये समाज का अक्स और नक्श हैं। कहानियों के पात्र बेचैन और चिन्तातुर हैं तो इसलिए कि समाज इतना निस्संग और क्रूर क्यों होता जा रहा है। यही तनाव इन कहानियों में है।... सम्भवतः ये कहानियाँ, मनुष्य की गरिमा को बचाये रखने के मक़सद से लिखी गयी हैं। कहानियों की ख़ूबी इनकी विश्वसनीयता और भाषाई रवानी में है। सहज भाषा और शिल्प की प्रस्तुति तथा हृदय को गहराई तक छूनेवाली संवेदना ज्ञानप्रकाश विवेक की कहानियों की एक अलग ही पहचान बनाती है। 'शिकारगाह' संग्रह की ये कहानियाँ, आशा है पाठकों को रुचिकर लगेंगी। "
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8126309075
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Bharatiya Jnanpith
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Publication Bharatiya Jnanpith
ज्ञानप्रकाश विवेक (ज्ञानप्रकाश विवेक )

"ज्ञानप्रकाश विवेक जन्म : 30 जनवरी, 1949 (बहादुरगढ़ में)। स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के बाद पूर्णकालिक लेखनI प्रकाशित पुस्तकें : उपन्यास : गली नम्बर तेरह (1998), अस्तित्व (2005), दिल्ली दरवाज़ा (2006), आखेट (2009), चाय का दूसरा कप (2010), तलघर (2012), डरी हुई लड़की (2017 ), नयी दिल्ली एक्सप्रेस (2019), व्हीलचेयर (2023); कहानी-संग्रह : अलग-अलग दिशाएँ (1983), जोसफ़ चला गया (1986), शहर गवाह है (1989), पिताजी चुप रहते हैं (1991), उसकी ज़मीन (1993), इक्कीस कहानियाँ (2001), शिकारगाह (2003), सेवानगर कहाँ है (2007), मुसाफ़िरख़ाना (2007), बदली हुई दुनिया (2009), कालखण्ड (2015), छोटी-सी दुनिया तथा अन्य कहानियाँ ( 2024 ); ग़ज़ल - संग्रह : धूप के हस्ताक्षर (1984), आँखों में आसमान (1990), इस मुश्किल वक़्त में (1996), गुफ़्तगू अवाम से है (2008), घाट हज़ारों इस दरिया के (2018), दरवाज़े पर दस्तक (2019), काग़ज़ी छतरियाँ बनाता हूँ (2021); कविता-संग्रह : दरार से झाँकती रोशनी; आलोचना : हिन्दी ग़ज़ल की विकास यात्रा (2006), हिन्दी ग़ज़ल दुष्यन्त के बाद (2014), हिन्दी ग़ज़ल की नयी चेतना (2018 )। फ़िल्म का नाट्य रूपान्तर : 'क़ैद' कहानी पर जनसिनेमा द्वारा फ़िल्म का निर्माण। शिमला दूरदर्शन द्वारा 'मोड़' तथा 'बेदखल' कहानियों पर लघु फ़िल्म का निर्माण। ‘शिकारगाह' कहानी, क्लासिक कहानियों की शृंखला में, दूरदर्शन वाराणसी द्वारा फ़िल्मांकन। 'पापा तुम कहाँ हो' कहानी का नाट्य मंचन। संकेत रंग टोली द्वारा, चाय का दूसरा कप उपन्यास का रेडियो नाटक प्रसारण, नैशनल चैनल दिल्ली। सम्मान : हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा तीन बार 'कृति सम्मान'। 'बाबू बालमुकुन्द गुप्त सम्मान' (2009)। हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा ' आजीवन साहित्य सेवा सम्मान' (2021)। राजस्थान पत्रिका द्वारा वर्ष 2000 का 'सर्वश्रेष्ठ कहानी सम्मान'। 'इन्दु शर्मा अन्तरराष्ट्रीय कथा सम्मान' (कथा सम्मान यूके) डरी हुई लड़की वर्ष 2021। "

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