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त्रिमाया

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"""मैं जीवन और जंगल के इस विशाल लैंडस्केप में एक मज़बूत खम्भा हूँ। मैं माया हूँ। एक प्राचीनतम मातृसत्तात्मक समाज की ज़िन्दा प्रतीक । मेरा जन्म जलदापारा में हुआ था। कभी यहाँ तरह-तरह के पेड़ थे। तमाम तरह की वनस्पतियों और छोटे-बड़े जीवों से रचा-बसा यह एक आदिम स्वर्ग था। मेरी याददाश्त में सब कुछ वैसे का वैसा है जैसे बस अभी कल की बात हो । मैं इसी आदिम स्वर्ग में जन्मी थी अपनी माँ की तरह और उनकी माँ भी।"" “एक दिन, जब पितृसत्ता विफल हो जायेगी और हम भीतरी-बाहरी युद्धों के चलते अपनी ही दुनिया नष्ट करने लगेंगे तब हमें एक नयी विश्व व्यवस्था स्थापित करने की आवश्यकता होगी। तब मैं हाथी समाज का अनुकरण करने की अनुशंसा करूँगी। इन सौम्य दिग्गजों ने हमारी उम्मीदों और सपनों के यूटोपियन मातृसत्तात्मक समाज का निर्माण किया है।"" ""चलो बहस छोड़ो अब नायरों में मातृवंश तो रहा नहीं ना! उसे लौटा लाना भी सम्भव नहीं है। मगर यह तय है कि नायर स्त्री के जीनोटाइप में से अल्फ़ावुमन का असर नहीं जाता है।"" ""खासी कहावत है, 'लॉन्ग जैद ना लोआ किन्थेई' - वंश की गिनती माँ से ही शुरू होती है। और ऐसा नहीं है कि औरतें महारानी बन के रहती हैं बल्कि उन्हें ज़्यादा काम करना पड़ता है। तुम्हारे पापा तो शिलॉन्ग आ गये, छोटे भाई, माँ-बाप की देखभाल किसने की? मैंने, खेत सँभाले, खेती की। रिश्तेदारियाँ निभायीं यहाँ तक कि मेरे दोनों पति मेरी ज़िम्मेदारियाँ देखकर मुझसे दूर भाग गये। मगर मैंने पुरखों की ज़मीनें नहीं बेचीं। पूरे परिवार को सहेजा।"" "
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मनीषा कुलश्रेष्ठ (Manisha Kulshreshtha)

मनीषा कुलश्रेष्ठ

जन्म : 26 अगस्त, 1967; जोधपुर।

शिक्षा : बी.एससी., एम.ए. (हिन्दी साहित्य), एम.फ़ि‍ल्. विशारद (कथक)।

प्रकाशित कृतियाँ : कहानी-संग्रह—‘कठपुतलियाँ’, ‘कुछ भी तो रूमानी नहीं’, ‘केयर ऑफ़ स्वात घाटी’, ‘गन्धर्व-गाथा’, ‘बौनी होती परछाईं’; उपन्यास—‘शिगाफ़’, ֹ‘शालभंजिका’, ‘स्‍वप्‍नपाश’।

अनुवाद : माया एंजलू की आत्मकथा ‘वाय केज्ड बर्ड सिंग’ के अंश, लातिन अमरीकी लेखक मामाडे के उपन्यास ‘हाउस मेड ऑफ़ डॉन’ के अंश, बोर्हेस की कहानियों का अनुवाद।

सम्मान : ‘बिहारी पुरस्‍कार’, ‘चन्द्रदेव शर्मा सम्मान’, ‘रांगेय राघव पुरस्कार’ (राजस्थान साहित्य अकादेमी); ‘कृष्ण बलदेव वैद फ़ेलोशिप’; ‘कृष्‍णप्रताप कथा सम्‍मान'; ‘डॉ. घासीराम वर्मा सम्मान’; ‘लमही सम्‍मान’।

बहुचर्चित उपन्यास ‘शिगाफ़’ का हायडलबर्ग (जर्मनी) के साउथ एशियन मॉडर्न लैंग्वेजेज़ सेंटर में वाचन।

विशेष : ‘विश्‍व हिन्‍दी सम्‍मेलन—2012’, जोहान्‍सबर्ग में शामिल।

सम्प्रति : स्वतंत्र लेखन और इंटरनेट की पहली हिन्दी वेबपत्रिका ‘हिन्दीनेस्ट’ का ग्यारह वर्षों से सम्पादन। ‘हिन्दीनेस्ट’ के अलावा, वर्धा विश्वविद्यालय की वेबसाइट ‘हिन्दी समय डॉट कॉम’ का निर्माण, ‘संगमन’ की वेबसाइट ‘संगमन डॉट कॉम’ का निर्माण व देखरेख।

ई-मेल : manishakuls@gmail.com

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