तुम्हें खोजने का खेल खेलते हुए

In stock
Only %1 left
SKU
9789389915976
Rating:
0%
As low as ₹159.20 Regular Price ₹199.00
Save 20%
हम जब कविता या कहानी लिखते हैं तो ऐसे कुछ ज़रूरी चेहरे दिमाग़ में रहते हैं जिनके बारे में या तो हमें यक़ीन होता है कि वे हमारे लिखे को पढ़ेंगे या कुछ चिन्ता होती है कि वे अगर पढ़ेंगे तो क्या कहेंगे। कहीं किसी जगह एक आदमी नज़र रखे हुए है। विष्णु खरे न सिर्फ़ मेरी पीढ़ी के बहुत से कवि-लेखकों के लिए, बल्कि हिन्दी में सक्रिय बहुत सारे दूसरे लोगों के लिए भी, ऐसा ही एक ज़रूरी चेहरा थे। वह कभी हमारे ख़यालों से दूर न रहे। उनका जाना एक ज़रूरी आदमी का जाना और एक दुखद ख़ालीपन का आना है। मेरी पीढ़ी ने एक आधुनिक दिमाग, तेज़ नज़र काव्य-पारखी, आलोचक, दोस्त, स्थायी रक़ीब और नयी पीढ़ी ने अपना एक ग़ुस्सेवर लेकिन ममतालु सरपरस्त खो दिया है। इस रूप में वह हमारे सबसे कीमती समकालीन थे। (विष्णु खरे पर एकाग्र अपने एक शोकलेख में असद ज़ैदी)
ISBN
9789389915976
Write Your Own Review
You're reviewing:तुम्हें खोजने का खेल खेलते हुए
Your Rating
कॉपीराइट © 2025 वाणी प्रकाशन पुस्तकें। सर्वाधिकार सुरक्षित।

डिज़ाइन और विकास: Octagon Technologies LLP