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Bharatiya Jnanpith
विभाजन भारतीय भाषा की कहानी (खण्ड -2)
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"विभाजन : भारतीय भाषाओं की कहानियाँ (खण्ड 2) -
किसी बड़े हादसे के सन्दर्भ में सामाजिक ढाँचा कैसे चरमराता है, राजनीति-तन्त्र कैसे बेअसर हो जाता है, सामाजिक जीवन किन गुत्थियों से भर जाता है, इन सबका सामना करती हुई विभाजन सम्बन्धी भारतीय कहानियाँ इतिहास का महज अनुकरण नहीं करती, उनका अतिक्रमण करने की, उनके पार देखने की दृष्टि भी देती हैं। तथ्य और संवेदना के बीच गज़ब का रिश्ता स्थापित करती हुई ये कहानियाँ कभी टिप्पणी, व्यंग्य और फ़न्तासी में तब्दील हो जाती हैं तो कभी तने हुए ब्यौरों से उस वक़्त के संकट की गहरी छानबीन करती दिखती हैं, जिससे सामाजिक सांस्कृतिक, राजनीतिक प्रसंगों की दहला देने वाली तस्वीर सामने आ जाती है। इन कहानियों की ऊपरी परतों के नीचे जो और-और परतें हैं, उनमें ऐसे अनुभवों और विचारों की बानगियाँ हैं जिन्हें आम लोगों का इतिहास सम्बन्धी अनुभव कह सकते हैं। कहानियों में छिपे हुए और कभी-कभी उनसे बाहर झाँकते आदमी का इतिहास और राजनीति का यह अनुभव इतिहास सम्बन्धी चर्चा से अकसर बाहर कर दिया जाता है।
इन कहानियों को यह जानने के लिए भी पढ़ा जाना चाहिए कि बड़े-बड़े सामाजिक, राजनीतिक और ऐतिहासिक मुद्दे आम लोगों की समझ से निखर कर कैसे स्मृति स्पन्दित मानवीय सच्चाइयों की शक्ल ले लेते हैं और इतिहास के परिचित चौखटे को तोड़कर उनकी पुनर्व्याख्या या पुनर्रचना का प्रयत्न करते हैं। जुड़ाव और अलगाव, स्थापित और विस्थापित, परम्परा, धर्म, संस्कृति और वतन के प्रश्न भी इन कहानियों में वे एक संश्लिष्ट मानवीय इकाई के रूप में सामने आये हैं।
भारतीय लेखकों ने विभाजन की त्रासदी के बार-बार घटित होने के सन्दर्भ को, स्वाधीनता की एकांगिता और अधूरेपन के मर्मान्तक बोध के साथ, कई बार कहानियों में उठाया है—कई तरीक़ों से, कई आयामों में। ध्यान से देखे तो स्वाधीनता, विभाजन और इस थीम पर भारतीय भाषाओं की कई लेखक पीढ़ियों द्वारा लिखी गयी कहानियाँ एक महत्त्वपूर्ण कथा दस्तावेज़ है, जिसे 'विभाजन : भारतीय भाषाओं की कहानियाँ', खण्ड-एक, खण्ड-दो में प्रस्तुत किया गया है।
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ISBN
9788126340866
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Bharatiya Jnanpith
Publication | Bharatiya Jnanpith |
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