विमल नाथ पुराण
विमलनाथ पुराण
महान् आत्माओं के जीवन चरित्र को पढ़ने से उनके गुणों की प्राप्ति के भाव जागृत होते हैं, जो हमारे जीवन में सकारात्मक परिवर्तन के निमित्त बनते हैं। जीवन की विविध परिस्थितियों में कैसे परिणाम रखते हुए कैसी प्रतिक्रिया करनी चाहिए, इसका सम्यक् दिग्दर्शन महापुरुषों के चरित्र से सहज ही हो जाता है। महापुरुषों का जीवन चरित्र वस्तुतः किसी व्यक्ति का नहीं अपितु एक आदर्श व्यक्तित्व की अभिव्यक्ति होती है, जिसमें पाठक / श्रोता एकरूपता की अनुभूति कर सकता है। यही एकरूपता उसके लिए प्रगति-पथ प्रशस्त करती है।
जैन धर्म के 13 वें तीर्थङ्कर श्री विमलनाथ भगवान् का जीवन चरित्र विमलनाथ पुराण में वर्णित है। संस्कृत भाषा में निबद्ध इस पुराण का सम्पादन एवं हिन्दी अनुवाद डॉ. सोनल कुमार जैन ने किया है। आप संस्कृत के अधीति विद्वान् हैं और हिन्दी में आपकी लेखनी सिद्धहस्त है अतः हिन्दी के पाठकों को संस्कृत का मूल प्रतिपाद्य यथावत् और सरल एवं सुबोध शैली में प्राप्त हो सका है।
किङ्कर से तीर्थङ्कर तक की यात्रा के माध्यम से सबसे पिछले क्रम पर खड़े व्यक्ति के लिए भी अग्रिम पंक्ति में स्थान दिलाने में समर्थ यह कृति निश्चित ही पठनीय एवं अनुकरणीय है।
Publication | Bharatiya Jnanpith |
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