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विश्व सिनेमा का सौंदर्यबोध

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विश्व सिनेमा का सौन्दर्यबोध - 
विश्व सिनेमा के परिदृश्य पर दृष्टि डालें और पूरे शताब्दी भर से गुज़रें तो हम पायेंगे कि विश्व सिनेमा की सैद्धान्तिकी और उसके सौन्दर्यशास्त्र पर जितना काम किया जा चुका है वह अब भी हिन्दी में पूरी तरह नहीं आ पाया है। निःसन्देह, बीसवीं शताब्दी का सिने जगत विभिन्न और महान उपलब्धियों से भरा पड़ा है।
पश्चिम के सिनेमा का प्रभाव सारे विश्व पर स्पष्ट दिखता है। विश्व सिनेमा का स्वरूप और उसके सैद्धान्तिकी में सौ बरस से भी अधिक का समय बीत जाने के बावजूद बदलाव जारी है। आंते मिशैलसन, पार्कर टेलर, डेविट बोर्डवेल, रूडोल्प आर्नहीम, राबर्ट स्कोल्स, जार्ज ब्लूस्टोन, आले रॉब्ब ग्रिये, रिचर्ड मेरनबार्सम, आन्द्रेई तारकोवस्की, जूरिज लोटमान, ब्रेन एंडरसन आदि विश्व-प्रसिद्ध निर्देशकों के सिने सिद्धान्तों पर प्रस्तुत पुस्तक सिनेमा के पाठकों को उसके बुनियादी सैद्धान्तिकी से न सिर्फ़ परिचय कराती है बल्कि सोच को विस्तार देकर उसे और परिपक्वता प्रदान करती है।
भारतीय सिनेमा के सौ बरस पूरे होने के अवसर पर प्रकाशित यह पुस्तक इसलिए भी महत्त्वपूर्ण हो जाती है कि इसके माध्यम से हमें अपनी सिने उपलब्धियों पर विचार करने का महत्त्वपूर्ण आधार मिल जाता है। सिनेमा के अध्येताओं लिए बेहद पठनीय व संग्रहणीय पुस्तक।

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9789326352970
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Bharatiya Jnanpith
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Publication Bharatiya Jnanpith
श्रीराम तिवारी (Shriram Tiwari)

"श्रीराम तिवारी - कवि, संस्कृतिकर्मी, मीडिया विशेषज्ञ श्रीराम तिवारी की कला, संस्कृति, जनजातीय विषयों पर सम्पादित कोई 70 से भी अधिक पुस्तकें प्रकाशित हैं। अनेक फ़िल्मों, डाक्यूड्रामा, रेडियो कार्यक्रमों का निर्माण और निर्देशन के अलावा वतन का राग, बढ़ते क़दम, नये द्वार, देश के दिल से, जन मन गण, आदिवासी स्वर, आज़ाद हिन्द आदि आकाशवाणी, दूरदर्शन और अन्य चैनलों पर प्रसारित भी हैं। स्वराज संस्थान संचालनालय, तीर्थ मेला प्राधिकरण, धर्मपाल शोध पीठ, विक्रमादित्य शोध पीठ, लोकायत न्यास एवं वीर भारत न्यास, मध्य प्रदेश जनजातीय संग्रहालय, मध्य प्रदेश नाट्य विद्यालय, राजा मानसिंह तोमर संगीत कला विश्वविद्यालय, मराठी साहित्य अकादमी, भोजपुरी अकादमी एवं पंजाबी अकादमी की स्थापना के अलावा संस्कृति संचालक तथा वन्या के प्रबन्ध संचालक तथा उद्यमी विकास संस्थान के संचालक भी रहे हैं। सम्पादक - प्रभुनाथ सिंह 'आज़मी' - कथाकार-सिने पत्रकार। कहानियों के साथ सिनेमा एवं पटकथा लेखन के विशेषज्ञ रहे। 'फ्लैश बैक', 'पटकथा का सच', 'रात पार की बत्तियाँ' आदि प्रकाशित कृतियाँ। 61 वर्ष की अवस्था में देहावसान। "

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