Where Do I Belong
वेयर डू आई बिलांग
अर्चना पैन्यूली विस्थापन, प्रवास, संस्कृति-भेद, आधुनिकता और पारम्परिक जीवन-मूल्यों के विविध प्रश्नों के उत्तर अपनी रचनाओं में तलाशती रहती हैं। वेयर डू आई बिलांग उपन्यास अर्चना पैन्यूली की इस रचनात्मक वृत्ति का सुखद विस्तार है। यह उपन्यास एक भारतीय अप्रवासी वंशज रीना को केन्द्र में रखकर रचा गया है। डेनमार्क में रहने वाली रीना जेनेटिक इंजीनियरिंग की छात्रा है और दुनिया के विषय में व्याप्त धारणाओं की थाह लगाना चाहती है। इसी क्रम में वह भारत आकर अपने पूर्वजों के देश से परिचित होती है।
रीना आत्मीयता, अन्तरंगता और आत्मस्वीकृति के कई आयाम देखती है। अर्चना के शब्दों में, "प्रेम चाहे कितना ही असीम व अनन्त क्यों न हो, सब कुछ जीत नहीं सकता। किसी भी रिश्ते को बनाने के लिए मन की भावनाओं के अलावा कई अन्य तथ्य इतने महत्त्वपूर्ण होते हैं कि उन्हें उपेक्षित नहीं किया जा सकता।" उपन्यास संस्कृतियों के संघर्ष की कहानी अपनी तरह से विकसित करता है। अर्चना पैन्यूली की स्पष्ट व पारदर्शी सामाजिक दृष्टि वेयर डू आई बिलांग की ताक़त है। कथावस्तु, चरित्र और वर्णन-शैली की विशिष्टता इस उपन्यास की उपलब्धि है।
Publication | Bharatiya Jnanpith |
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