Publisher:
Bharatiya Jnanpith

योगसार-प्राभृत (श्रीमद्-अमितगति-विरचित)

In stock
Only %1 left
SKU
Yogasara-Prabhrta of Srimad Amitagati
Rating:
0%
As low as ₹285.00 Regular Price ₹300.00
Save 5%

योगसार-प्राभृत
यह ग्रन्थ 9 अधिकारों में विभक्त है जिनके नाम हैं-1. जीवाधिकार, 2. अजीवाधिकार, 3. आस्रवाधिकार, 4. बन्धाधिकार, 5. संवराधिकार, 6. निर्जराधिकार, 7. मोक्षाधिकार और 8. चारित्राधिकार। नवमे अधिकार को 'नवाधिकार' तथा 'नवमाधिकार' नाम से ही ग्रन्थ-प्रतियों में उल्लेखित किया है, दूसरे अधिकारों की तरह उसका कोई खास नाम नहीं दिया; जबकि ग्रन्थ-सन्दर्भकी दृष्टि से उसका दिया जाना आवश्यक था। वह अधिकार सातों तत्त्वों तथा सम्यक् चारित्र-जैसे आठ अधिकारों के अनन्तर 'चूलिका' रूप में स्थित है-आठों अधिकारों के विषय को स्पर्श करता हुआ उनकी कुछ विशेषताओं का उल्लेख करता है और इसलिए उसे यहाँ 'चूलिकाअधिकार' नाम दिया गया है। जैसे किसी मन्दिर-भवन की चूलिका-चोटी उसके कलशादि के रूप में स्थित होती है उसी प्रकार 'योगसार-प्राभृत' नामक ग्रन्थ-भवन की चूलिका-चोटी के रूप में यह नवमा अधिकार स्थित है अतः इसे 'चूलिकाधिकार' कहना समुचित जान पड़ता है। ग्रन्थ के 'परिशिष्ट' अधिकार रूप में इसे ग्रहण किया जा सकता है।

ISBN
Yogasara-Prabhrta of Srimad Amitagati
Publisher:
Bharatiya Jnanpith
More Information
Publication Bharatiya Jnanpith
Write Your Own Review
You're reviewing:योगसार-प्राभृत (श्रीमद्-अमितगति-विरचित)
Your Rating
कॉपीराइट © 2025 वाणी प्रकाशन पुस्तकें। सर्वाधिकार सुरक्षित।

Design & Developed by: https://octagontechs.com/