Aakhet
आखेट -
आखेट उपन्यास एक बेरोज़गार युवक चेतन के घर-परिवार, जीवन-संघर्ष, महत्त्वाकांक्षा, सपने, प्रेम, दोस्ती, तनाव, अकेलापन तथा उपेक्षाओं से लड़ने और ताक़त हासिल करने की कथा है।
अम्बाला छावनी की जिस इंश्योरेंस कम्पनी में चेतन (रीजनल ऑफ़िस दिल्ली से) नियुक्ति पत्र लेकर जाता है, वहाँ का भ्रष्ट और ताक़तवर तन्त्र उसे आउटसाइडर की तरह उपेक्षित और प्रताड़ित करता है।
लेकिन चेतन... ऐसे तनावपूर्ण और ख़ौफ़ज़दा माहौल में भी जीवन राग को ढूँढ़ने का प्रयास करता रहता है।
कम्पनी की बाहरी भव्यता के पसःमंज़र संशय का वातावरण है। कार्यालय के शिखर पुरुष, कायर और भ्रष्ट हैं। वे ख़ुद को बचाने तथा दूसरे को गिराने का खेल खेलते रहते हैं——किसी आखेट की तरह।
यह 'इन डोर गेम' किसी रूपक की तरह है जो हमारे समाज, सियासत और सम्बन्धों में, किसी न किसी रूप में मौजूद है। शायद इसलिए कि संसार में तुच्छताओं का अपना प्रतिसंसार है।