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Andhere Mein : Ek Punarvichar

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Andhere Mein : Ek Punarvichar
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'अँधेरे में' मुक्तिबोध की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण और उतनी ही विवादित कविता है। अपनी शैली, शिल्प, संरचना और प्रयोगों के कारण यह कविता कुछ ख़ास तरह की जटिलताओं और विशिष्टताओं से भरी है। यह कविता कहीं निराला की 'राम की शक्तिपूजा' के साथ खड़ी होती दिखती है। शक्तिपूजा के राम और अँधेरे में का काव्य- नायक दोनों अँधेरी शक्तियों से भिड़ने और विजय पाने के लिए प्रयासरत हैं। दोनों में ही शक्तियाँ अन्यायियों- अपराधियों के साथ हैं। लेकिन दोनों में अपराजेय जुझारूपन और विश्वास भी है। 'अँधेरे में' की संरचना के कारण इसके अध्येता, विद्वान इस कविता के
विषय में अलग-अलग निष्कर्षों पर पहुँचते रहे हैं। इस कविता में इसकी गुंजाइश भी है। यह कविता प्रतियोगी परीक्षाओं और अधिकांश विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में शामिल है। इस संग्रह में शामिल लेख 'अँधेरे में' के अध्येताओं की मुश्किलें आसान करके उनकी समझ को विकसित करने में मदद करेंगे, इस उम्मीद के साथ यह पुस्तक प्रस्तुत है।

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Andhere Mein : Ek Punarvichar
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