Apnee Salibein

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अपनी सलीबे - 
"दरअसल ईश ख़ुद भी भीतर तक हिल गया था। नीलिमा उसे फिर उन्हीं अन्धेरों में धकेलने का प्रयास कर रही थी जहाँ वापस लौटने का अर्थ ईशू के लिए आत्महत्या होता। वह उस दुनिया को बहुत पीछे छोड़ आया था जहाँ रोज़ मरना और रोज़ जीना मजबूरी होती है। उसने अपने हर क़दम के लिए एक-एक चट्टान तोड़ी थी. इसलिए कि वह ऐसे माँ-बाप से जन्मा था जिन्हें छू लेने भर से लोग इन्सान नहीं रह पाते। ऐसे माँ-बाप उसे दुनिया में लाये थे जिनके हिस्से में समाज अपनी जूठन और तलछट ही फेंकता है।"
हिन्दी की सशक्त कहानी-लेखिका नमिता सिंह की कहानियों में जीवन को सही अर्थों में सार्थक बनाने की कोशिश पूरी शिद्दत के साथ मिलती है। आज की बदलती, सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक परिस्थितियों में एक और रूढ़िगत पूर्वाग्रहों और संस्कार तथा दूसरी ओर यथार्थ और मानवीय संवेदनाओं के संघर्ष और अन्तर्द्वन्द्व से उपजी यह कृति अपने समय को समझने के लिए एक कलात्मक हस्तक्षेप है।
सामाजिक सरोकार, संवेदना और शिल्प के अनूठे सामंजस्य को सँजोये यह उपन्यास नमिता सिंह की कथा-यात्रा का अगला पड़ाव है।

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Publication Vani Prakashan
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