Publisher:
Vani Prakashan

Aslaha

In stock
Only %1 left
SKU
9788170551232
Rating:
0%
As low as ₹100.00

असलाह - 
सतयुग का समुद्र मन्थन हो या त्रेता में राम-रावण युद्ध अथवा द्वापर का महाभारत या कलयुग का कोई भी युद्ध या विश्व युद्ध! हर युद्ध के बाद हथियार से तौबा करने का नारा ही बुलन्द किया गया पर हथियार है कि कम नहीं हुए बढ़ते ही रहे, ख़तरनाक भी होते गये और दुनिया को बारूद के ढेर पर बिठाने में सहायक रहे। हथियारों के जखीरों में सुलगते ज्वालामुखी का ताप ज्यों-ज्यों बढ़ता जा रहा है आदमी छोटी लकीरों में ढलता जा रहा है।
मानवता की समाप्ति जैसे मौजू सवालों को गम्भीरता से उठाता कथाकार गिरिराज किशोर का यह उपन्यास दरअसल उस आदमी का दर्द है जो हथियारों केबल पर ख़ुद को बड़ा और शक्तिशाली बनाकर दूसरों को छोटा नहीं बनाना चाहता और यही कारण है कि यह कहानी ठीक इसके विपरीत उस आदमी के माध्यम से कही गयी है, जो हथियार प्रेम को 'माँ' से भी कहीं अधिक महान् मानता है, पर हथियारों की होड़ में अन्ततः जीत ममता और मानवता की ही होती है। अमरी की घरवाली की चिन्ता और उसकी अकेली आवाज़ हथियारों के फैलते रेगिस्तान को रोकने की आवाज़ है, जिसमें अन्ततः अमरी भी विलीन हो जाता।

रोचक तथा अत्यन्त प्रभावशाली ढंग से लिखा यह उपन्यास निस्सन्देह, स्तरीय उपन्यास की कमी को पूरा करेगा।

ISBN
9788170551232
Publisher:
Vani Prakashan
sfasdfsdfadsdsf
More Information
Publication Vani Prakashan
sfasdfsdfadsdsf
Write Your Own Review
You're reviewing:Aslaha
Your Rating
Copyright © 2025 Vani Prakashan Books. All Rights Reserved.

Design & Developed by: https://octagontechs.com/