Badalte Haalaat Mein

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9788170559603
"इस संग्रह की कहानियाँ दोतरफ़ा खुलने वाली वो खिड़कियाँ हैं, जहाँ एक तरफ़ समय की चुनौतियाँ और सामाजिक-राजनैतिक व्यवस्था का गुट्ठिल संजाल है, तो दूसरी तरफ मनुष्य की आकांक्षाएँ, स्वप्न और स्मृतियाँ। दोनों के घात-प्रतिघात से उत्पन्न संघर्ष, छीलन और तनाव से भरे प्रश्न हैं । पुस्तक की पहली ही कहानी बदलते हालात में है जिसके नाम पर संग्रह का नाम रखा गया है, वह थोथे राजनैतिक आश्वासनों और ज़मीनी सच्चाइयों के बीच, बेअन्त दूरियों का आकलन करती, 'दंश' भरे तीखे प्रश्न उठाती है, तो 'नेपथ्य कथा' अपनी ज़मीन, अपने परिजन से कटने और पीछे छूटे हुओं के उदास अकेलेपन की कहानी है जो युवा पीढ़ी की महात्त्वाकांक्षाओं और विदेश आगमन के मोह प्रारम्भ होकर अकेलेपन पर ख़त्म होती है । अकेलेपन को नियति मानने वालों के दिमाग़ पर दस्तक देती यह कहानी हमें अपने किये धरे पर सोचने को उकसाती है कि अपनी बोयी फ़सल हमें ही काटनी है । इसी तरह 'फाँस' सहित अन्य और कई कहानियाँ हैं इस संग्रह में जो कश्मीर वादी के उस यथार्थ के पास ले जाती हैं, जिसके दिये घाव या तो भरे नहीं, या सूख भी गये तो उनके निशान नहीं मिटे। निस्सन्देह, समय के क्रूर यथार्थ और मनुष्य की उम्मीदों, स्वप्नों और स्मृतियों के घात- प्रतिघात से जन्मी ये कहानियाँ जहाँ मानवीय त्रासदियों के बीच खड़ी रहती हैं, वहीं इच्छाशक्ति और आस्था की जड़ें ढूँढ़ती मानवीयता की पक्षधर ये कहानियाँ मनुष्य-विरोधी तन्त्र को कठघरे में खड़ा भी करती हैं । वरिष्ठ कथाकार चन्द्रकान्ता की कुछ विरल कहानियों का एक अविस्मरणीय संग्रह है बदलते हालात में। "

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