Bantware Ke Rekhachitra (Manto Ab Tak-21)
मण्टो की कहानियों का जिक्र, उन कहानियों के उल्लेख के बिना अधूरा हैं, जो उसने हिन्दू-मुसलमान दंगा पर और हिन्दुस्तान-पाकिस्तान के बँटवारे को ले कर लिखीं।
बँटवारे पर या हिन्दू मुस्लिम फ़सादों पर लिखी गयी मण्टो की अविस्मरणीय कहानियाँ-टोबा टेकसिंह, टिथवाल का कुत्ता, यजीद, गुरमुख सिंह की वसीयत, खोल दो और शरीफ़न - पढ़ेंगे, तब उन्हें यह एहसास होगा कि बँटवारा मण्टो की ज़िन्दगी में कैसे हादसे के रूप में टूटा था ।
इस सन्दर्भ में सबसे पहले मैं टोबा टेकसिंह और टिथवाल का कुत्ता का ज़िक्र करना चाहता हूँ क्योंकि इस हादसे पर जिसने लाखों लोगों की नियति पर प्रभाव डाला ऐसी कहानियाँ किसी अन्य भारतीय लेखक ने नहीं लिखीं।
टोबा टेकसिंह का पागल सिक्ख - जो हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के बँटवारे को एक अप्राकृतिक बँटवारा मानता है और तस्लीम नहीं करता- दरअसल मण्टो का ही वह रूप है जिसने इस बँटवारे को तस्लीम नहीं किया या जब किया तो अपनी ज़िन्दगी की कीमत चुका कर । मण्टो की नज़र में किशन सिंह और उस कुत्ते में कोई फ़र्क नहीं जो टिथवाल के मोर्चे पर हिन्दुस्तानी और पाकिस्तान सेना के वहशीपन का शिकार होता है। किशन सिंह और टिथवाल का वह कुत्ता- दोनों उस जनता के प्रतीक हैं जिसने इस अर्थहीन राजनीति की वजह से तकलीफ़ सहीं और कुर्बान हुईं।