Bayaban

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9789357757904
"कथाकार राजेन्द्र लहरिया का यह उपन्यास बयाबाँ, मनुष्य-समय-समाज के उस निर्मम 'अरण्य' का आख्यान है जो उत्तर- आधुनिकता की कोख से पैदा हुआ है। यह उपन्यास अपने विशिष्ट कथ्य के साथ ही अपने अनूठे शिल्प के कारण भी ध्यान आकृष्ट करता है। 'टूट' और 'दाह' नाम के दो भागों में विभक्त इस उपन्यास की कथा में कथ्य को जिस कारीगरी के साथ विन्यस्त किया गया है, उसके कारण यह उपन्यास वर्तमान ही नहीं भविष्य की भयावहता को भी दृश्यांकित कर पाने में सक्षम हो पाता है। (ग़ौरतलब है कि इस नातिदीर्घ उपन्यास में इक्कीसवीं सदी की शुरुआत से सन् 2070 ईसवी तक की हौलनाक-दुर्निवार मनुष्य-स्थितियों का जायज़ा मौजूद है।) यही कारण है कि पाठक इस उपन्यास को पढ़ते हुए जब इसके अन्त तक पहुँचता है तो वह हैरान हो उठने के साथ-साथ अपने सामने स्थितियों की विकरालता को दृश्यमान पाता है। एक अत्यन्त पठनीय, विचारोत्तेजक व मर्मस्पर्शी कथा-कृति ! "

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