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Aaina

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"आईना - भारतीय नवजागरण के इतिहास को रचने में प्रादेशिक स्तर पर क्रियाशील कई कार्यकलाप महत्त्वपूर्ण हैं। यह कहना उचित होगा कि भारतीय नवजागरण प्रादेशिक नवजागरण का समुच्चय है । केरल के नवजागरण कार्यकलापों को दिशा देने में श्रीनारायण गुरु की अहम भूमिका रही। जाति प्रथा के विरुद्ध उनका संघर्ष क्रान्तिकारी रहा। उनका मानना था कि जाति एक ही है, धर्म एक ही है। मनुष्य एवं समाज की वास्तविक मुक्ति के लिए जाति रहित, धर्म रहित देश की ज़रूरत है । शिक्षा को श्रीनारायण गुरु ने अनिवार्य माना, ख़ासकर निम्न वर्ग के लिए। समाज को आगे बढ़ने के लिए व्यवसाय को उन्होंने प्राथमिकता दी । उनका यह भी कहना था कि निम्न तबके के लोगों को संगठित होना है । मूल रूप से श्रीनारायण गुरु भक्त थे, कवि भी थे । उनके कई दार्शनिक काव्य हैं । वे भारतीय सन्त-परम्परा में परिगणित होने योग्य सद् व्यक्ति हैं । केरल भर में श्रीनारायण गुरु ने कई मन्दिरों की स्थापना की है। कुछ समय के पश्चात् गुरु को लगा मूर्ति प्रतिष्ठा का ज़्यादा महत्त्व नहीं है । उन्होंने कई मन्दिरों में आईने की प्रतिष्ठा की । यह एक प्रतीकात्मक कार्य था । लोग अपने को देख सकें। अपने अन्तर्मन को देख सकें, समझ सकें । यह उपन्यास आईना श्रीनारायण गुरु के जीवन पर आधारित है; एक जीवनीपरक उपन्यास | "
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ए. अरविंदाक्षन (A. Arvindakshan)

ए. अरविंदाक्षन

ए. अरविन्दाक्षन का जन्म 10 जून, 1949 को पालक्काड, केरल में हुआ। वे महात्मा गांधी अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा, महाराष्ट्र के प्रति कुलपति रहे हैं।

उनकी प्रकाशित कविता पुस्तकें हैं—बाँस का टुकड़ा, घोड़ा, आसपास, सपने सच होते हैं, राग लीलावती, असंख्य ध्वनियों के बीच, भरा पूरा घर, पतझड़ का इतिहास, राम की यात्रा, जंगल नजदीक आ रहा है, समुद्र से संवाद, खँडहरों के बीच, नीलाम्बर, वट के पत्ते पर लीलारविंद की तरह, साक्षी है धरती साक्षी है आकाश, प्रार्थना एक नदी है, प्रतिनिधि कविताएँ।

हिन्दी में बीस आलोचना पुस्तकों के अतिरिक्त मलयालम में पाँच आलोचना की पुस्तकें; एक उपन्यास; पन्द्रह अनूदित पुस्तकें; तेईस सम्पादित पुस्तकें; अंग्रेजी में दो पुस्तकें।

बीस राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय पुरस्कार, साहित्य वाचस्पति उपाधि से सम्मानित ।

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