Ab Ke Pahle Ab Ke Baad
प्रस्तुत पुस्तक में छत्तीसगढ़ की संस्कृति, ग्रामीण जीवन, स्थानीय कला, आजीविका, प्रशासन, प्रबन्धन, अर्थ-व्यवस्था, लोक परम्पराएँ, मान्यताएँ, पौराणिक किंवदन्तियाँ, स्वास्थ्य और कृषि से लेकर प्रायः सभी प्रकार के आलेख समाहित हो गये हैं।
ऐसे संकलन के पीछे एक तर्क यह भी है कि चिन्तन-मनन को ‘विभाजन' में देखने की बजाय हमेशा ‘समग्रता' में देखना ज़्यादा व्यावहारिक होता है। बेशक हमारा मस्तिष्क, विषयों के विभाजन और तुलना की ओर अधिक आकर्षित होता है, लेकिन मेरा अपना अनुभव यही है कि बहुत अधिक विभाजन करने और स्थितियों को अलग-अलग देखने से कई बार हम बड़े लक्ष्य से भटक भी जाते हैं। निश्चित ही, मेरी इस धारणा के विपरीत तर्क रखने वाले भी अपनी जगह सही हो सकते हैं। फिर भी यह कहा जा सकता है कि इस किताब में शामिल हर आलेख में विश्लेषण की एक नयी दृष्टि अन्तर्निहित है।
इसी पुस्तक से
Publication | Vani Prakashan |
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