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Adhikar : Mahasamar- 2 (1 to 9 Volume Set)

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Adhikar : Mahasamar- 2 (1 to 9 Volume Set)
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"महासमर – अधिकार - 'महाभारत' की कथा पर आधृत उपन्यास 'महासमर' की दूसरी कड़ी 'अधिकार' यशस्वी कथाकार नरेन्द्र कोहली की महत्त्वपूर्ण रचना है। 'अधिकार' की कहानी हस्तिनापुर में पाण्डवों के शैशव से आरम्भ होकर, वारणावत के अग्निकांड पर जाकर समाप्त होती है वस्तुतः यह खण्ड 'अधिकारों' की व्याख्या अधिकारों के लिए हस्तिनापुर में निरन्तर होने वाले षड्यन्त्र, अधिकार को प्राप्त करने की तैयारी तथा संघर्ष की कथा है। राजनीति में अधिकार प्राप्त करने के लिए होनेवाली हिंसा तथा राजनीतिक त्रास के बोझ में दबे हुए असहाय लोगों की पीड़ा की कथा समानान्तर चलती है। सतोगुणी राजनीति तथा तमोन्मुख रजोगुणी राजनीति का अन्तर इसमें स्पष्ट होता है। एक ओर निर्लज्ज स्वार्थ और भोग तथा दूसरी ओर अनासक्त धर्म-संस्थापना का प्रयत्न। दोनों पक्ष आमने-सामने हैं। 'महाभारत' की कथा में कृष्ण का प्रवेश भी इस खण्ड में हो गया है। प्रख्यात कथाओं का पुनःसृजन उन कथाओं का संशोधन अथवा पुनर्लेखन नहीं होता, वह उनका युगसापेक्ष अनुकूलन मात्र भी नहीं होता। पीपल के बीज से उत्पन्न प्रत्येक वृक्ष, पीपल होते हुए भी, स्वयं में एक स्वतन्त्र अस्तित्व होता है, वह न किसी का अनुसरण है, न किसी का नया संस्करण। मौलिक उपन्यास का भी यही सत्य है। मानवता के शाश्वत प्रश्नों का साक्षात्कार लेखक अपने गली-मुहल्ले, नगर- देश, समाचार पत्रों तथा समकालीन इतिहास में आबद्ध होकर भी करता है, और मानव सभ्यता तथा संस्कृति की सम्पूर्ण जातीय स्मृति के सम्मुख बैठकर भी। पौराणिक उपन्यासकार के 'प्राचीन' में घिरकर प्रगति के प्रति अन्धे हो जाने की सम्भावना उतनी ही घातक है, जितनी समकालीन लेखक की समसामयिक पत्रकारिता में बन्दी हो एक खण्ड-सत्य को पूर्ण सत्य मानने की मूढ़ता। सर्जक साहित्यकार का सत्य अपने काल-खण्ड का अंग होते हुए भी, खण्डों के अतिक्रमण का लक्ष्य लेकर चलता है। नरेन्द्र कोहली का नया उपन्यास है 'महासमर'। घटनाएँ तथा पात्र महाभारत से सम्बद्ध हैं; किन्तु यह कृति एक उपन्यास है आज के एक लेखक का मौलिक सृजन! "
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Adhikar : Mahasamar- 2 (1 to 9 Volume Set)
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नरेन्द्र कोहली (Narendra Kohli)

"नरेन्द्र कोहली जन्म : 6 जनवरी, 1940 कालजयी कथाकार एवं मनीषी डॉ. नरेन्द्र कोहली की गणना आधुनिक हिन्दी साहित्य के सर्वश्रेष्ठ रचनाकारों में होती है। कोहली जी ने साहित्य की सभी प्रमुख विधाओं (उपन्यास, व्यंग्य, नाटक, कहानी) एवं गौण विधाओं (संस्मरण, निबन्ध, पत्र आदि) और आलोचनात्मक साहित्य में अपनी लेखनी चलायी। हिन्दी साहित्य में 'महाकाव्यात्मक उपन्यास' की विधा को प्रारम्भ करने का श्रेय नरेन्द्र कोहली को ही जाता है। पौराणिक एवं ऐतिहासिक चरित्रों की गुत्थियों को सुलझाते हुए उनके माध्यम से आधुनिक समाज की समस्याओं एवं उनके समाधान को समाज के समक्ष प्रस्तुत करना नरेन्द्र कोहली की अन्यतम विशेषता है। नरेन्द्र कोहली सांस्कृतिक राष्ट्रवादी साहित्यकार हैं, जिन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से भारतीय जीवन-शैली एवं दर्शन का सम्यक् परिचय करवाया है 1 रचनाएँ : अभ्युदय (दो भाग), महासमर 1: बन्धन, महासमर 2 : अधिकार, महासमर 3 : कर्म, महासमर 4 : धर्म, महासमर 5 : अन्तराल, महासमर 6 : प्रच्छन्न, महासमर 7 : प्रत्यक्ष, महासमर 8 : निर्बन्ध, महासमर 9 : आनुषंगिक, महासमर (रजत संस्करण-9 खण्डों में), महासमर (विशेष संस्करण-9 खण्डों में ही उपलब्ध), सैरन्ध्री, न भूतो न भविष्यति (व्यास सम्मान 2013), मत्स्यगन्धा, हिडिम्बा, कुन्ती, मेरे राम : मेरी रामकथा, पुनरारम्भ, अवसर, दीक्षा, संघर्ष की ओर, युद्ध (दो भाग), देश के हित में, सागर-मन्थन (उपन्यास); हम सबका घर (बाल उपन्यास); समग्र कहानियाँ (दो भाग); व्यंग्य गाथा (दो भाग), मुहल्ला, वह कहाँ है, सबसे बड़ा सत्य, हुए मर के हम जो रुसवा, नामचर्चा, देश के शुभचिन्तक, त्राहि-त्राहि, इश्क़ एक शहर का, राम लुभाया कहता है, आयोग, सपने में आये तीन परिवार, गणतन्त्र का गणित, किसे जगाऊँ, प्रतिनाद, स्मरामि (व्यंग्य); किष्किन्धा, अगस्त्य कथा (नाटक); हिन्दी उपन्यास : सृजन और सिद्धान्त, प्रेमचन्द (आलोचना); जहाँ है धर्म वहीं है जय, नरेन्द्र कोहली ने कहा (विचार-लेख)। सम्मान : पद्मश्री सम्मान, व्यास सम्मान, शलाका सम्मान, पंडित दीनदयाल उपाध्याय सम्मान, अट्टहास सम्मान। निधन : 17 अप्रैल, 2021 "

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