Andhera Samudra

In stock
Only %1 left
SKU
9788126318865
Rating:
0%
As low as ₹114.00 Regular Price ₹120.00
Save 5%
"अँधेरा समुद्र मूलतः कवि संवेदना के कथाकार परितोष चक्रवर्ती का चौथा कहानी-संग्रह है- 'अँधेरा समुद्र'। परितोष हमारे समय के एक जरूरी कहानीकार हैं जो खण्ड खण्ड अस्मिताओं को गूँथकर भारत के एक वृहत्तर सामाजिक आख्यान को रचते हैं। 'अँधेरा समुद्र' का अँधेरा नब्बे के दशक के बाद भारतीय समाज में छाया बाज़ारवाद, मुक्त अर्थव्यवस्था की हिंस्रता, आवारा पूँजी और काले धन का असीमित विस्तार, बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की घातक प्रतिस्पर्धा, चमकीले विज्ञापनों का 'अँधेरा' है, जिसमें आम आदमी कई कठिन पाटों के बीच बुरी तरह पिस रहा है। विडम्बना ही है कि यह 'अँधेरा' जगमगाती और चौंधिया देनेवाली रोशनियों से भरपूर है। परितोष इस अँधेरे समुद्र की सम्यक् और संयत पड़ताल करते हैं- बिना कोई अतिवादी निष्कर्ष पर पहुँचे। इस मायने में परितोष का कथात्मक धैर्य क़ाबिलेतारीफ़ है। परितोष के मित्रों का कहना है कि वे सम्बन्धों के कथाकार हैं। सम्बन्धों में वे डूबते हैं और भँवर के बीच भी चले जाते हैं और सामाजिक यथार्थ के सहारे उबरकर उस गहराई को पाठक तक सम्प्रेषित कर देते हैं। संक्षेप में, 'अँधेरा समुद्र' समग्रता में स्टिरियोटाइप पाठकीय चेतना को ध्वस्त कर उसे रिइन्वेंट करनेवाली कहानियों का एक अनूठा संग्रह है।"
ISBN
9788126318865
sfasdfsdfadsdsf
Write Your Own Review
You're reviewing:Andhera Samudra
Your Rating
Copyright © 2025 Vani Prakashan Books. All Rights Reserved.

Design & Developed by: https://octagontechs.com/