Anjane Kshitij Ki Or
आज मुझसे कोई पूछे कि जीवन के इस मुकाम तक मैं कैसे पहुँची, तो मैं इसका श्रेय किताबों को देना चाहूँगी। वैसे अगर मैं चाहती तो किताबों की जगह आसानी से पृष्ठभूमि, नसीब या परिस्थितियों का नाम ले सकती थी, पर यह कहना शायद खुद से बेईमानी होती। छोटे परिवार की सदस्य होने के नाते, पढ़ने के लिए मेरे पास बहुत समय था। पढ़ना मेरे लिए केवल मन बहलाव का साधन नहीं था, मैं जीवन के अनुत्तरित प्रश्नों के उत्तर इन्हीं में खोजा करती थी, या आज भी खोजती हूँ। किताबें मेरे जीवन की वह सुन्दर खिड़कियाँ हैं जिनसे होकर मैं खुले आसमान में विचरने की जगह बना लेती हूँ ।
पढ़ने-लिखने की लत ही शायद वह कारण है। जिसकी वजह से जीवन के प्रति मेरा दृष्टिकोण बहुत सकारात्मक और स्पष्ट हो गया है। मैं भाग्य को नहीं मानती, मेरी समझ से कर्म ही वह ईंट है जिससे जीवन की इमारत बनती है। ।