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Vani Prakashan
Artificial Intelligence
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"आज के इस रोबोट युग में कृत्रिम बुद्धिमत्ता मानव जीवन का एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण साधन बन गयी है। सुबह की चाय से लेकर रात की नींद तक हम कृत्रिम बुद्धिमत्ता से लैस उपकरणों से घिरे हुए हैं। चाहे वह कमरे की उष्णता के अनुरूप तापमान में परिवर्तन करने की प्रक्रिया हो या वाशिंग मशीन में कपड़े धोने की सारी प्रक्रियाओं को स्वयं निर्णय लेकर सम्पादित करने की क्षमता, चैट-जीपीटी द्वारा बच्चों के होमवर्क में सहायता हो या विभिन्न प्रौद्योगिकी टूल्स द्वारा स्वास्थ्य, पर्यटन आदि से सम्बन्धित जानकारी प्राप्त करना, ये सभी कार्य कृत्रिम मेधा से क्षण भर में सम्पन्न हो जाते हैं।
इसकी बहुआयामी उपयोगिता का प्रमाण इसी तथ्य से दिया जा सकता है कि यह मानव जीवन के हर क्षेत्र से सम्बद्ध हो चुका है। आज कृत्रिम मेधा चिकित्सा निदान, इलेक्ट्रॉनिक व्यापार, रोबोट विज्ञान, रिमोट सेंसिंग, कृषि, शिक्षा, विनिर्माण, विभिन्न औद्योगिक कार्य, रक्षा और रणनीति, बैंकिंग और वित्त, विधि प्रणाली, प्रकाशन एवं मुद्रण, रत्न परीक्षण, पुरातत्व संरक्षण सम्बन्धी अनुसन्धान, खाद्य गुणवत्ता विश्लेषण व उसकी पैकेजिंग की तकनीकी, यात्रा, पर्यटन इत्यादि के क्षेत्र में अपने पैर मज़बूती से जमाने का यत्न कर रही है। कम्प्यूटर विज्ञान से सम्बन्धित कई कठिन समस्याओं का निदान अब कृत्रिम मेधा के शोधकर्ताओं ने कर दिया है। कृत्रिम मेधा के कम्प्यूटरी अनुप्रयोग से टाइम शेयरिंग, इंटरैक्टिव दुभाषिया, ग्राफिकल यूसर इंटरफेस, तीव्र विकास वातावरण का निर्माण, लिंक सूची डेटा संरचना, स्वचालित भण्डारण क्षमता विकास, प्रतीकात्मकता प्रोग्रामिंग, कार्यात्मक प्रोग्रामिंग, गतिशील व उद्देश्योन्मुख प्रोग्रामिंग के द्वारा अब कम्प्यूटर विज्ञान का व्याप और भी विस्तृत हो रहा है।
आज शिक्षा के क्षेत्र में कई ऐसी तकनीकें विकसित हो गयी हैं जो बुद्धिमान शिक्षण प्रणाली द्वारा डिजिटल शिक्षक विकसित कर कम समय में अधिक-से-अधिक प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षित कर सकती हैं।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रणाली आज जीवन के हर क्षेत्र से जुड़ चुकी है तथा जीवन को प्रभावित कर रही है। इस प्रणाली से जहाँ एक ओर सारे काम सरल हो रहे हैं और समाज की प्रगति की नयी दिशा दिखाई दे रही है, वहीं दूसरी ओर समाज में एक प्रकार का डर भी विद्यमान हो रहा है कि इसके कुछ दूरगामी दुष्परिणाम भी हो सकते हैं। इस सम्बन्ध में हमें इस बात को समझना होगा कि इस प्रणाली का प्रभाव इसके प्रयोग पर निर्भर करता है। यह तथ्य अक्षरशः सत्य है कि सकारात्मक प्रयोगों से इसके अच्छे परिणाम ही दृष्टिगोचर होंगे। एक सफल व सशक्त समाज के निर्माण के लिए यह आवश्यक है कि हम इस तकनीकी के साथ क़दम से क़दम मिलाकर चलें। इस लेख संग्रह में देश के भिन्न-भिन्न भागों से विज्ञान लेखन में सक्रिय प्रभावशाली लेखकों ने योगदान दिया है। लेखकों ने अपनी विशेषज्ञता के क्षेत्रों से सम्बन्धित ज्ञानवर्धक लेख लिखे हैं। सम्पादकों द्वारा लेखकों को उनके लेखन हेतु पर्याप्त स्वतन्त्रता दी गयी है, जिसके परिणामस्वरूप उनकी प्रतिभा अपने वास्तविक स्वरूप में लेखों के माध्यम से इस पुस्तक में व्यक्त हुई है।
आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के उपयोगों पर आधारित इस संकलन में आठ लेख हैं। लेखकों ने अपनी रुचि के अनुसार लेखों की विषयवस्तु का चयन किया है। इसलिए प्रत्येक लेख अपने स्वाभाविक रूप में प्रस्तुत हुआ है। आशा है कि यह पुस्तक पाठकों को पसन्द आयेगी।
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