Asha Naam Nadi
आशा नाम नदी -
ऋतुराज की कविता के आख्यान का 'स्वरूप कई मायनों' में बहुत दिलचस्प है। अपनी प्रयोगधर्मिता से वह हमें बार-बार विस्मित करता है। वह लगभग लोककथा के करीब पहुँच जाता है।
उसमें काव्यात्मक अवकाश ज़्यादा है और उसके विवरण उसकी लय में घुलमिल-से जाते हैं, लय का हिस्सा बन जाते हैं। उनकी कविता का आख्यान चित्रात्मक तो है ही लयात्मक भी है। वहाँ पात्र और स्थितियाँ यथार्थ की चौहद्दियाँ लांघे जाते हैं। काल्पनिक उड़ान भरते हुए वे फ़न्तासियों को छूने लगते हैं। वहाँ तीनों काल अपनी उपस्थिति एक साथ बनाये रहते हैं। कविता में आख्यान एक स्तर पर अपनी मुक्ति प्राप्त करता है और इस तरह वह यथार्थ दृष्टि का विस्तार करता जाता है।
उनकी कविता में स्थानीयता कई बार प्रसंगों, वस्तुओं और प्राकृतिक विवरणों में प्रकट होती है और कई बार भाषा की 'टोन' में उनके आख्यान की बनावट, उसकी संरचना, उन्हें कई स्तरों पर स्वतन्त्र करती है। वे इस छूट का इस्तेमाल बहुत कौशल के साथ आख्यान में राजनीतिक कमेंट गूँथ देने में करते हैं।
ऋतुराज की कविता के आख्यान में अक्सर ऐसे चरित्र आते हैं जो समाज की परिधि पर रह रहे हैं।
–राजेश जो
'एक कवि की नोटबुक' से
Publication | Vani Prakashan |
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