Publisher:
Vani Prakashan

Ashwathama

In stock
Only %1 left
SKU
9789389563641
Rating:
0%
As low as ₹284.05 Regular Price ₹299.00
Save 5%

अर्जुन को शस्त्रविद्या देते समय पिताश्री बहुधा गहन विचारों में डूब जाया करते। उनके मुख पर अनेक प्रकार के भाव आते-जाते रहते। आँखों में अनेक बार क्रोध झलक उठता। शब्द-भेदी बाण व अन्धकार में बाण चलाने की विद्या अर्जुन ने पिताश्री से ही प्राप्त की थी। सत्य कहता हूँ दिशाओ अर्जुन को लेकर सबके साथ पिताश्री का पक्षपाती व्यवहार मैं समझ नहीं सका। कठिन तप द्वारा ऋषि अगस्त्य से ब्रह्मास्त्र प्राप्त करने वाले द्रोणाचार्य, विद्या जिज्ञासु कर्ण को सूत पुत्र कहकर नकारने वाले भारद्वाज पुत्र द्रोण, अन्य शिष्यों से चुपचाप मुझे गूढ़तर विद्याओं का अभ्यास करवाते पिताश्री, निषादराज के पुत्र एकलव्य से गुरुदक्षिणा में अँगूठा माँग लेने वाले गुरु द्रोण, इन समस्त रूपों में कौन-सा सत्य रूप था गुरु द्रोण का, मैं कभी भी समझ नहीं सका। परन्तु राजकुमारों से गुरुदक्षिणा में द्रुपदराज को युद्ध में पराजित करने का वचन लेने वाले गुरु द्रोण को मैं आज समझ सकता हूँ। आज मुझे पिताश्री का अर्जुन से अधिक स्नेह का कारण समझ आ रहा है।

ISBN
9789389563641
Publisher:
Vani Prakashan
More Information
Publication Vani Prakashan
प्ररेणा के. लिम्डी (Prerana K. Limdi)

प्रेरणा के. लीमडी जन्म : 26 जुलाई, 1944, मुम्बई (महाराष्ट्र) स्वयं के व्यवसाय से निवृत्ति 2005 में, लगभग 2008 से लेखन प्रारम्भ किया। कहानी संग्रह : अने रेत पंखी (गुजराती) गुजराती साहित्य परिषद् का 2010 का प्रथम पुरस्कार, लाल पतंग (गुजराती) नर्मदा सभा सूरत का 2010 का नन्दू शंकर पुरस्कार। उपन्यास : अश्वत्थामा (गुजराती) महाराष्ट्र राज्य गुजरात अकादमी का प्रथम पुरस्कार। गुजरात राज्य साहित्य अकादमी की ओर से पुरस्कार।

Write Your Own Review
You're reviewing:Ashwathama
Your Rating
Copyright © 2025 Vani Prakashan Books. All Rights Reserved.

Design & Developed by: https://octagontechs.com/