Aupniveshik Bharat Mein Vigan, Praudyogiki Aur Aayurvigyan
ब्रिटिश शासन के अधीन भारत के विज्ञान, प्रौद्योगिकी और आयुर्विज्ञान में हाल के वर्षों में बढ़ती अभिरुचि ने आधुनिक दक्षिण एशिया के इतिहास की पुनर्व्याख्या में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ईस्ट इंडिया कम्पनी के शासन की स्थापना से लेकर स्वतन्त्रता-प्राप्ति की दीर्घ अवधि को अपने में समेटे डैविड आर्नोल्ड का व्यापक और विश्लेषणात्मक सर्वेक्षण दर्शाता है कि भारत में ब्रिटिश संलग्नता के विकास और पाश्चात्य हस्तक्षेप के प्रति भारतीय प्रतिक्रिया के निर्माण में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और आयुर्विज्ञान की भूमिका की समीक्षा कितनी महत्त्वपूर्ण है। प्रस्तुत पुस्तक विज्ञान के परिप्रेक्ष्य में सम्पूर्ण औपनिवेशिक युग को विश्लेषित करने वाली प्रमुख रचनाओं में एक है और यह भारतीय और पाश्चात्य विज्ञान के सम्बन्ध, कम्पनी के अधीन विज्ञान, प्रौद्योगिकी और आयुर्विज्ञान का स्वरूप, राजकीय वैज्ञानिक सेवाओं का सर्जन, ‘शाही विज्ञान’ और भारतीय वैज्ञानिक समुदाय का उद्भव, वैज्ञानिक और चिकित्सीय अनुसन्धान का प्रभाव और राष्ट्रवादी विज्ञान की दुविधाओं की गहरी छानबीन करती है।