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Anand Harshul

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"आनंद हर्षुल (जन्म : 23 जनवरी 1959) के यहाँ यथार्थ अनवरुद्ध गति में बहता स्वच्छन्द यथार्थ है। दरअसल यथार्थ की इस तरल उठान को एक क़िस्म की स्वैर-वृत्ति निरन्तर यत्नपूर्वक साधे रखती है। इस प्रक्रिया में कथा - भाषा का विनियोग इस कौशल के साथ किया गया है कि कथा-संवेदना अपनी गतिशील चित्रात्मकता में अपना विन्यास प्राप्त करती है। उनके पाँच कहानी-संग्रह- ‘बैठे हुए हाथी के भीतर लड़का’, ‘पृथ्वी को चन्द्रमा’, ‘रेगिस्तान में झील’, ‘अधखाया फल एवं चिड़िया और मुस्कुराहट’ तथा तीन उपन्यास- ‘चिड़िया बहनों का भाई’, ‘देखना’ एवं ‘रेतीला’ तथा एक सम्पादित पुस्तक ‘अनगिन से निकलकर एक’ अब तक प्रकाशित हैं। उनकी रचनाओं का विभिन्न भाषाओं में अनुवाद हुआ है। वे 'सुभद्रा कुमारी चौहान पुरस्कार' (1997), 'विजय वर्मा अखिल भारतीय कथा सम्मान' (2003), ‘वनमाली कथा सम्मान' (2014) तथा संस्कृति मन्त्रालय, भारत सरकार की ‘सीनियर फ़ेलोशिप' (2020-21) से सम्मानित हैं। "

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