
Balbir Madhopuri
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बलबीर माधोपुरी का पंजाबी समकालीन साहित्य में अनुपम स्थान है। इसलिए कि उन्होंने दलित चेतना और संवेदना के माध्यम से अपनी एक स्वतन्त्र पहचान बनायी है। इनकी ग्यारह मौलिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। जिनमें तीन काव्य संग्रह और आठ गद्य संग्रह हैं। इनके सन्दर्भ में उल्लेखनीय बात यह है कि इन्होंने पंजाबी साहित्य अपनी विलक्षण शैली और पृथक रचना कौशल से पाठकों को न केवल अपनी ओर आकर्षित किया है वल्कि उनकी अनुभूतियों को भी गहरे तक छुआ भी है। साहित्यिक क्षेत्र में ऐसा यदाकदा ही घटित होता है। हिन्दी साहित्य जगत में बलबीर का परिचय उनके द्वारा रचित पंजाबी पुस्तकों के हिन्दी अनुवादों के द्वारा पहले ही हो चुका है। इन्हें सरकारी और ग़ैर -सरकारी अनेक पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं। जुलाई 1955 को पंजाब के ज़िला जालन्धर के गाँव माधोपुर में जन्मे। इन्होंने अब तक 45 से अधिक पुस्तकों का पंजाबी अनुवाद किया है और इतनी पुस्तकों का सम्पादन भी किया है। अपने साहित्यिक सृजन के बलबूते और अजीत कौर के सहयोग से इन्होंने नेपाल और पाकिस्तान में हुए सार्क लेखक सम्मेलन में भाग लिया। पिछले साल उन्होंने कनाडा के चार प्रमुख विश्वविद्यालयों में भाषण दिये। आत्मकथा छांग्या रुक्ख ने बलबीर की सृजन प्रक्रिया को शिखर तक पहुँचाया है। प्रस्तुत पुस्तक का कई भारतीय भाषाओं सहित अंग्रेज़ी में आक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, रूसी, पोलिश, उर्दू, शहमुखी और अन्य भाषाओं में अनुवाद हो चुका है।