Meri Chuninda Kavitayein
मेरी चुनिन्दा कविताएँ - बलबीर माधोपुरी पंजाबी साहित्य और संस्कृति के मानवीय सरोकारों के साथ विगत चार दशकों से जुझारू लेखक की भाँति भूमिका अदा करते आ रहे हैं। वह भारत की सामाजिक-आर्थिक गैर-बराबरी, वंचित वर्गों की लाचारी, मानवीय पहचान और उनकी अधिकारहीनता को अपनी कविताओं और अन्य पुस्तकों के केन्द्र में रखते हैं। चिन्तक साहित्यकार के रूप में उनके पास यथार्थवादी तर्क-युक्ति और सान लगे हुए तीखे शब्दों का बड़ा अम्बार और भण्डार है। बलबीर की मौलिक रचनाएँ, ख़ासतौर पर आत्मकथा छांग्या रुक्ख अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर उनकी पहचान का सबब बनी। कई भारतीय भाषाओं सहित अंग्रेज़ी (ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस), उर्दू, शाहमुखी, रूसी और पोलिश में छपी और कुछ प्रकाशनाधीन हैं। आजकल उनका उपन्यास मिट्टी बोल पई चर्चा में है जिस हेतु उनको 'ढाहां इंटरनेशनल साहित्य अवार्ड 2021' मिला। इन सब कार्यों के साथ-साथ उन्होंने विश्व साहित्य में कहानियों-कविताओं को चुन-चुनकर उनका अपनी मातृभाषा पंजाबी में अनुवाद किया। उनकी ओर से अनुवादित पुस्तकों की गणना 45 से अधिक है और इतनी ही पुस्तकों का उन्होंने सम्पादन भी किया है।
बलबीर की 14 मौलिक पुस्तकों में तीन काव्य-संग्रह हैं जो साधारण पाठकों हेतु प्रेरणास्रोत और शैक्षणिक उपक्रमों में समाजशास्त्र की दृष्टि से अहम माने जाते हैं। ...आशा है कि बलबीर माधोपुरी की पुस्तक मेरी चुनिन्दा कविताएँ (अनुवाद : राजेन्द्र तिवारी) का हिन्दी साहित्य जगत में उचित स्वागत होगा ।
-डॉ. रेणुका सिंह
भूतपूर्व प्रोफ़ेसर, समाज विज्ञान जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी, नयी दिल्ली